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________________ आगे के अध्ययनों में क्या भाव कहे हैं ? कृपा करके इस अध्ययन का उत्क्षेपक - भाव बताइये । श्री सुधर्मा स्वामी ने कहा- हे जम्बू ! उस काल उस समय में द्वारका नगरी थी, उसके समीप एक रैवतक नाम का पर्वत था । उस पर्वत पर नन्दनवन नाम एक मनोहारी एवं विशाल उद्यान था । इस द्वारका नगरी में श्रीकृष्ण वासुदेव राज्य करते थे । उन कृष्ण वासुदेव की "गौरी” नाम की महारानी थी, जो वर्णन करने योग्य थी । एक समय उस नन्दनवन उद्यान में भगवान् अरिष्टनेमि पधारे । कृष्ण वासुदेव भगवान के दर्शन करने के लिए गये । जन परिषद भी धर्म सुनने के लिए गई । गौरी रानी भी पद्मावती रानी के समान प्रभुदर्शन के लिये गई । भगवान ने धर्मोपदेश दिया । धर्मोपदेश सुनकर जन परिषद् अपने-अपने घर गई । कृष्ण वासुदेव भी अपने राजभवन में लौट गये । ‘तत्पश्चात् “गौरी” देवी पद्मावती रानी की भांति विरक्त होकर दीक्षित हुई यावत् सिद्ध हो गई । इसी तरह अन्य ३. गांधारी, ४. लक्ष्मणा, ५. सुसीमा, ६. जाम्बवती, ७. सत्यभामा, एवं ८. रुक्मिणी के भी छ: अध्ययन पद्मावती के समान समझना चाहिए । ये सभी एक समान प्रव्रजित होकर सिद्ध-बुद्ध और मुक्त हुईं । ये सभी श्रीकृष्ण वासुदेव की पटरानियाँ थीं । ( २ - ८ अध्ययन समाप्त) Maxim 14 : ārya Jambu asked Sudharmā Swami - Bhagawan ! 1 have heard attentively from you, the subject matter expressed by Bhagawāna Mahāvīra of the first chapter of fifth section. Now please tell me the subject matter of second and further chapters as described by Bhagawāna Mahāvāra. १६२ • Chapters 2-8 Jain Education International For Private Personal Use Only अन्तकृद्दशा सूत्र : पंचम वर्ग www.jainelibrary.org
SR No.007648
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1999
Total Pages587
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_antkrutdasha
File Size12 MB
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