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5.14
विसमाओ सेज्जाओ समाओ कुज्जा; पवायाओ सेज्जाओ णिवायाओ कुज्जा, णिवायाओ सेज्जाओ पवायाओ कुज्जा, अंतो वा बहिं वा कुज्जा उवस्सयस्स हरियाणि छिंदिय छिंदिय दालिय दालिय संथारगं संथारेज्जा, एस विलुंगयामो सिज्जाए। ____ तम्हा से संजए णियंठे तहप्पगारं पुरेसंखडिं वा पच्छासंखडिं वा संखडिं संखडिपडियाए णो अभिसंधारेज्जा गमणाए।
॥बीओ उद्देसओ सम्मत्तो ॥
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१३. भिक्षु या भिक्षुणी अर्ध-योजन की सीमा में संखडि (बड़ा जीमनवार-बृहत्भोज) हो रहा है, यह जानकर संखडि में निष्पन्न आहार के निमित्त से जाने का संकल्प न करे। ____ यदि भिक्षु या भिक्षुणी यह जाने कि पूर्व दिशा में संखडि हो रही है, तो वह उसके प्रति उपेक्षाभाव रखते हुए पश्चिम दिशा को चला जाय। यदि पश्चिम दिशा में संखडि जाने तो उपेक्षा करता हुआ पूर्व दिशा में। इसी प्रकार दक्षिण दिशा में संखडि जाने तो उसके प्रति उपेक्षा रखकर उत्तर दिशा में और उत्तर दिशा में संखडि होती जाने तो दक्षिण दिशा में चला जाये।
___संखडि जहाँ भी हो, जैसे कि गाँव में हो, नगर में हो, खेड़े में हो, कुनगर में हो, * मडंब में हो, पट्टन में हो, द्रोणमुख (बन्दरगाह) में हो, आकर-(खान) में हो, आश्रम में
हो, सन्निवेश (मोहल्ला या उपनगर) में हो, यावत् (यहाँ तक कि) राजधानी में हो, इनमें से कहीं भी संखडि जाने तो संखडि (स्वादिष्ट आहार लाने) के निमित्त से मन में संकल्प (प्रतिज्ञा) लेकर न जाये। केवलज्ञानी भगवान कहते हैं-यह कर्मबन्धन का कारण है।
संखडि में संखडि के लिए जाने वाला भिक्षु उस आहार को खाता है तो वह .. आधाकर्मिक, औद्देशिक, मिश्रजात, क्रीतकृत, प्रामित्य, बलात् छीना हुआ, दूसरे के स्वामित्व का पदार्थ उसकी अनुमति के बिना लिया हुआ या सम्मुख लाकर दिया हुआ आहार सेवन करता है।
१४. क्योंकि कोई श्रद्धालु गृहस्थ साधु के संखडी में आने की सम्भावना से छोटे द्वार को बड़ा बनायेगा, बड़े द्वार को छोटा बनायेगा, विषम वास/स्थान को सम बनायेगा तथा सम वास/स्थान को विषम बनायेगा। अधिक हवादार वास-स्थान को निर्वात बनायेगा या निर्वात वास-स्थान को अधिक वातयुक्त (हवादार) बनायेगा। वह भिक्षु के निवास के लिए उपाश्रय के अन्दर और बाहर (उगी हुई) हरियाली को काटेगा, उसे जड़ से उखाड़कर वहाँ संस्तारक (आसन) बिछायेगा। क्योंकि वह भिक्षु विलुंगम-अकिंचन है, (वह स्वयं कुछ
नहीं करेगा) अतः गृहस्थ उसके लिए शय्या तैयार करेगा। * आचारांग सूत्र (भाग २)
( ३४ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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