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________________ (छ) से सिया परो कायंसि गंडं वा अरइयं वा जाव भगंदलं वा अण्णयरेणं सत्थजायेणं अच्छिंदेज्ज वा विच्छिंदेज्ज वा अण्णयरेणं सत्थजायेणं अच्छिंदित्ता वा विच्छिंदित्ता वा पूयं वा सोणियं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा, णो तं साइए णो तं णियमे । ३३८. (क) कोई गृहस्थ साधु के शरीर में हुए गंड (गाँठ), अर्श (मस्सा, बवासीर), पुलक (फोड़ा) अथवा भगंदर को एक बार या बार-बार पपोलकर साफ करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। (ख) कोई गृहस्थ साधु के शरीर में हुए गंड, अर्श, पुलक अथवा भगंदर को दबाए या परिमर्दन करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। (ग) कोई गृहस्थ साधु के शरीर में हुए गंड, अर्श, पुलक अथवा भगंदर पर तेल, घी, वसा चुपड़े, मले या मालिश करे तो साधु उसे मन से न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। (घ) कोई गृहस्थ साधु के शरीर में हुए गंड, अर्श, पुलक अथवा भगंदर पर लोध, कर्क, चूर्ण या वर्ण का थोड़ा या अधिक उपलेपन करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे न ही वचन और काया से कराए। (च) यदि कोई गृहस्थ मुनि के शरीर में हुए गंड, अर्श, पुलक अथवा भगंदर को प्रासुक, शीतल और उष्ण जल से थोड़ा या बहुत बार धोए तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। (छ) यदि कोई गृहस्थ मुनि के शरीर में हुए गंड, अर्श, पुलक अथवा भगंदर को किसी विशेष शस्त्र से थोड़ा-सा छेदन करे या विशेष रूप से छेदन करे अथवा किसी विशेष शस्त्र से थोड़ा-सा या विशेष रूप से छेदन करके मवाद या रक्त निकाले या उसे साफ करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। CENSURE OF PARA-KRIYA ON BOIL AND FISTULA 338. (a) In case some householder wipes a tumor, piles, boil or fistula on the body of an ascetic once or many times, the ascetic should avoid that para-kriya with mind, speech and body. (b) In case some householder massages, gently or with pressure, a tumor, piles, boil, or fistula on the body of an ascetic आचारांग सूत्र (भाग २) ( ४६० ) Acharanga Sutra (Part 2) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007647
Book TitleAgam 01 Ang 02 Acharanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2000
Total Pages636
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_acharang
File Size20 MB
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