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३२४. साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे कि भैंसों के स्थान, वृषभशाला, घुड़साल, हस्तिशाला यावत् कपिंजल पक्षी आदि के रहने के स्थानों में होने वाले शब्दों या इसी प्रकार के अन्य शब्दों को, किन्तु उन्हें श्रवण करने की इच्छा से कहीं जाने का विचार न करे।
CENSURE OF ENTERTAINMENT CENTRES
324. A bhikshu or bhikshuni hears various sounds such as those produced in yards or stables for buffalos, bulls, horses, elephants; nests of kapinjal (a type of cuckoo) birds; or other such places. But he should never resolve to go to some place to hear these sounds.
विवेचन-उक्त सात सूत्रों में विभिन्न स्थानों में उन स्थानों से सम्बन्धित आवाजों या उन स्थानों में होने वाले श्रव्य, गेय आदि स्वरों को श्रवण करने की उत्सुकतावश जाने का निषेध किया गया है। कान खुले होते हैं तब अनायास शब्द कान में पड़ ही जाते हैं, किन्तु इन शब्दों को मात्र शब्द ही माने, इनमें मनोज्ञता या अमनोज्ञता का भाव नहीं करे। उनके प्रति राग-द्वेष का भाव उत्पन्न न होने दे।
Elaboration-In above said seven aphorisms it has been prohibited to hear sounds at various places concerning those places. Going to such places with an intention to hear musical or pleasant sounds is also discouraged. As the ears are not shut, they hear the sounds involuntarily. But those sounds should be considered mere sounds. Never get attracted towards or repulsed by them. Never have a feeling of attachment or aversion for them. ___ ३२५. से भिक्खू वा २ अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेइ, तं जहा-महिसजुद्धाणि वा वसभजुद्धाणि वा अस्सजुद्धाणि वा जाव कविंजलजुद्धाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं सद्दाइं णो अभिसंधारेज्जा गमणाए। __ ३२५. साधु-साध्वी को कई प्रकार के शब्द सुनने में आते हैं, जैसे कि जहाँ भैंसों के युद्ध, साँडों के युद्ध, अश्व-युद्ध, हस्ति-युद्ध यावत् कपिंजल-युद्ध होते हैं तथा अन्य इसी प्रकार के पशु-पक्षियों के लड़ने से या लड़ने के स्थानों में होने वाले शब्द। उनको सुनने हेतु जाने का मन में संकल्प न करे।
325. A bhikshu or bhikshuni hears various sounds such as those produced where buffaloes are fighting, bulls, horses, शब्द-सप्तिका : एकादश अध्ययन ( ४३७ ) Shabda Saptika : Eleventh Chapter
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