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शब्द । वाद्य चार प्रकार के होने से उनसे निकलने वाले शब्दों के भी चार प्रकार हो जाते हैं। जैसे - ( १ ) वितत - ताररहित बाजों से होने वाला शब्द, जैसे-मृदंग, नंदी और झालर आदि के स्वर। (२) तत–तार वाले बाजे - वीणा, सारंगी, तुनतुना, तानपूरा, तम्बूरा आदि से होने वाले शब्द। (३) ताल-ताली बजने से होने वाला या काँसी, झाँझ, ताल आदि के शब्द । ( ४ ) शुषिर - पोल या छिद्र में से निकलने वाले बाँसुरी, तुरही, खरमुही, बिगुल आदि के शब्द |
स्थानांगसूत्र में शब्द के दो भेद बताये हैं- जीव के वाक् प्रयत्न से होने वाला - ' भाषा शब्द ' तथा वाक् प्रयत्न से भिन्न शब्द। इनके भी दो भेद हैं- अक्षर सम्बद्ध, नो- अक्षर सम्बद्ध। नो- अक्षर सम्बद्ध के दो भेद - आंतोद्य ( बाजे आदि का) शब्द, नो- आतोद्य (बाँस आदि के फटने से होने वाला) शब्द। आतोद्य के दो भेद - तत और वितत । तत के दो भेद - तत घन और तत-शुषिर, तथा वितत के दो भेद - वितत - घन, वितत - शुषिर । नो- आतोध के दो भेद-भूषण, नो-भूषण । नो-भूषण के दो भेद - ताल और लतिका ( लात मारने से होने वाला या बाँस का शब्द ) । प्रस्तुत में आतोद्य के सभी प्रकारों का समावेश - तत, वितत, ताल और शुषिर इन चारों में कर दिया गया है । (स्थान. २, उ. ३)
Elaboration-Various types of sound-These four aphorisms primarily censure hearing of sounds produced by four kinds of musical instruments—(1) Vitat sounds, (2) Tat sounds, ( 3 ) Taal sounds, and (4) Shushir sounds. As there are four classes of musical instruments the sounds produced by them are also of four kinds. ( 1 ) Vitatproduced by non-string or percussion type of musical instruments like mridang, tabla and other types of drums. (2) Tat-produced by veena, sarangi, sitar and other such stringed musical instruments. (3) Taalproduced by clapping action or clashing together a couple of instruments held in both hands, like a cymbal. (4) Shushir-produced by wind instruments, like flute, trumpet etc.
Sthananga Sutra mentions two classes of sound-sounds produced by vocal cords of living beings and sounds other than that. These are further divided into two kinds; that related to words or language and other than that. The other sounds are again divided into two; atodya or instrumental and no-atodya or other natural sounds. Atodya or instrumental sounds are further divided into two; tat and vitat. Tat and vitat both have two kinds each ghan and sushir. No-atodya also have two kinds; bhushan and no-bhushan. And finally no - bhushan
शब्द - सप्तिका : एकादश अध्ययन
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Shabda Saptika: Eleventh Chapter
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