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सहसत्तिक्कयं : एगारसम अज्झयण शब्द-सप्तिका : एकादश अध्ययन : चतुर्थ सप्तिका SHABDA SAPTIKA : ELEVENTH CHAPTER : SEPTET FOUR
SOUND SEPTET
वाद्यादि शब्द श्रवण-उत्कण्ठा का निषेध
३१४. से भिक्खू वा २ मुइंगसदाणि वा नंदीसहाणि वा झल्लरीसद्दाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं वितताई सद्दाई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारिज्जा गमणाए। ____३१४. साधु-साध्वी मृदंग के शब्द, नंदी नामक वाद्य के शब्द या झलरी (झालर) के शब्द तथा इसी प्रकार के अन्य वितत शब्दों को कानों से सुनने के उद्देश्य से कहीं भी जाने का मन में संकल्प नहीं करे।
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CENSURE OF MUSICAL INSTRUMENTS
314. A bhikshu or bhikshuni should never resolve to go to some place to hear sounds of mridanga, nandi, jhalari or other such vitata sounds (produced by percussion type musical instruments).
३१५. से भिक्खु वा २ अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेइ, तं जहा-वीणासदाणि वा विवंचिसद्दाणि वा बद्धीसगसद्दाणि वा तूणयसदाणि वा पणवसद्दाणि वा र तुंबवीणियसद्दाणि वा ढकुणसदाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाणि सद्दाणि वितताई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेज्जा गमणाए।
३१५. साधु-साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि वीणा के शब्द, विपंची के शब्द, बद्धीसक के शब्द, तूनक के शब्द, तुम्बवीणा के शब्द, ढंकुण (वाद्य-विशेष) के शब्द या इसी प्रकार के विविध तत-शब्द हैं, जिन्हें कानों से सुनने के लिए कहीं जाने का मन में विचार नहीं करे।
315. A bhikshu or bhikshuni hears various sounds such as those of Veena, Vipanchi, Baddhisak, Tunak, Dhol, Dhankun or शब्द-सप्तिका : एकादश अध्ययन ( ४३१ ) Shabda Saptika : Eleventh Chapter
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