________________
__ में भी उच्चार-प्रस्रवण-विसर्जन का दण्ड-प्रायश्चित्त बताया है। नगर के समीप ऋषियों के ठहरने के क स्थान को उद्यान और नगर से निर्गमन का जो स्थान हो, उसे निर्याण कहते हैं। चरियाणि-प्राकार
के अन्दर ८ हाथ चौड़ी जगह। (निशीथ चूर्णि, उ. ८, पृ. ४३१, ४३४; आचा. चू. २३४) ___णदिआयतणेसु-नद्यायतन-तीर्थ-स्थान, जहाँ लोग पुण्यार्थ स्नानादि करते हैं। पंकायतणेसुजहाँ पंकिल प्रदेश में लोग धर्म-पुण्य की इच्छा से लोटने आदि की क्रिया करते हैं। ओघायतणेसुजो जल-प्रवाह या तालाब के जल में प्रवेश का स्थान पूज्य माना जाता है, उनमें। वच्चं-पत्ते, फूल, फल आदि वृक्ष से गिरने पर जहाँ सड़ाये या सुखाये जाते हैं, उस स्थान को 'वर्च' कहते हैं; इसलिए डागवच्चंसि, सागवच्चंसि आदि पदों का अर्थ होता है-डाल-प्रधान या पत्र-प्रधान साग को सुखाने या सड़ाने के स्थान में। निशीथ सूत्र में अनेक वृक्षों के वर्चस् वाले स्थान में मल-मूत्र परिष्ठापन का प्रायश्चित्त विहित है। ___ अणावाहसि के दो अर्थ मिलते हैं-(१) अनापात, और (२) अनाबाध। अनापात का अर्थ हैजहाँ लोगों का आवागमन न हो। अनाबाध का अर्थ है-जहाँ किसी प्रकार की रोक-टोक न हो, सरकारी प्रतिबन्ध न हो। इंगालदाहेसु-काष्ठ जलाकर जहाँ कोयले बनाये जाते हों, उन पर। खारडाहेसु-जहाँ जंगल और खेतों में घास, पत्ती आदि जलाकर राख बनाई जाती है। मडयडाहेसुमृतक के शव की जहाँ दहन क्रिया की जाती है, वैसी श्मशान भूमि में। मडगथूभियासु-चिता स्थान के ऊपर जहाँ स्तूप बनाया जाता है, उन स्थानों में। मडयचेतिएसु-चिता स्थान पर जहाँ चैत्य-स्थान (स्मारक) बनाया जाता है, तात्पर्य यह है कि मृतक से सम्बन्धित गृह, राख, स्तूप, आश्रय, लयन (देवकुल), स्थण्डिल, वर्चस् इत्यादि पर मल-मूत्र विसर्जन निषिद्ध है।
॥ तृतीय सप्तिका समाप्त ।। ॥ दसवाँ अध्ययन समाप्त ॥
Technical Terms : Mattiyakadaye-place where earthen pots are fired. Amoyani-heaps of trash. Ghasani-hollow or parched land. Bhiluyani-land with cracks. Vijjalani-slimy land. Kadavanisugar-cane pieces. Pagattani-large and deep pits. Padugganidifficult to cross parapet wall of a fort. Manusarandhani-place used for cooking on a stove. Mahiskarcnani-resting place of buffalo (etc.) or a place constructed for such use. (Acharanga Churni foot notes, p. 233)
Aasakaran-place where horses are trained. Vehanasatthanesu, places of execution. Giddhapaitthanesu—where people smear blood on their body and throw themselves as food for vultures in order to commit suicide. Taru-pagadanatthanesu—where persons lie like dead
OM
उच्चार-प्रस्रवण-सप्तिका : दशम अध्ययन
( ४२७ ) Uchchar-Prasravan Saptika : Tenth Chapter
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org