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णिसीहिया सतिक्कयं : नवमं अज्झयणं निषीधिका : नवम अध्ययन : द्वितीय सप्तिका NISHIDHIKA : NINTH CHAPTER : SEPTET TWO
STUDY-PLACE SEPTET
निषीधिका-विवेक ___ २८८. से भिक्खू वा २ अभिकंखेज्जा णिसीहियं फासुयं गमणाए। से पुण णिसीहियं जाणेज्जा सअंडं सपाणं जाव मक्कडासंताणयं। तहप्पगारं णिसीहियं अफासुयं अणेसणिज्जं लाभे संते णो चेइस्सामि।
२८९. से भिक्खू वा २ अभिकंखेज्जा णिसीहियं गमणाए, से पुण निसीहियं जाणेज्जा अप्पपाणं अप्पबीयं जाव मक्कडासंताणयं। तहप्पगारं णिसीहियं फासुयं एसणिज्जं लाभे संते चेइस्सामि।
एवं सेज्जागमेण णेयव्वं जाव उदयपसूयाणि त्ति।
२८८. जो साधु-साध्वी प्रासुक-निर्दोष स्वाध्याय भूमि में जाना चाहे, वह यदि ऐसी स्वाध्याय भूमि को जाने, जो अण्डों, जीव-जन्तुओं यावत् मकड़ी के जालों से युक्त हो तो उस प्रकार की निषीधिका को अप्रासुक एवं अनेषणीय समझकर मिलने पर कहे कि “मैं यहाँ नहीं ठहरूँगा।"
२८९. साधु-साध्वी यदि ऐसी स्वाध्याय भूमि को जाने, जो अण्डों, प्राणियों, बीजों यावत् मकड़ी के जालों से युक्त नहीं हो, तो उस प्रकार की निषीधिका को प्रासुक एवं एषणीय समझकर प्राप्त होने पर कहे कि “मैं यहाँ ठहरूँगा।"
निषीधिका के सम्बन्ध में यहाँ से लेकर उदक-प्रसूत कंदादि तक का समग्र वर्णन शय्या (द्वितीय) अध्ययन (सूत्र ७८-८३) के अनुसार जान लेना चाहिए।
PRUDENCE OF NISHIDHIKA
288. When a bhikshu or bhikshuni wants to go to a faultless place for study he should find if that place is infested with eggs, living beings, cobwebs etc. If he is offered such place he should
- आचारांग सूत्र (भाग २)
( ४०४ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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