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faith or a layman. Also, an accomplished ascetic should avoid the company of unaccomplished ascetic while moving about from village to village.
७. से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे णो अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा परिहारिओ अपरिहारियस्स वा असणं वा ४१ देज्जा वा अणुपदेज्जा वा।
७. गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए प्रविष्ट भिक्षु या भिक्षुणी अन्यतीर्थिक या परभिक्षाजीवी याचक को, तथैव उत्तम साधु पार्श्वस्थादि शिथिलाचारी साधु को अशन आदि चारों आहार न तो स्वयं दे और न किसी से दिलाए।
7. A bhikshu or bhikshuni who has entered a house of a layman for alms should neither give nor cause others to give food to a person belonging to other faith or a common beggar. Also, an accomplished ascetic should neither give nor cause to give food to an ascetic lax in conduct.
विवेचन-सूत्र ४ से ७ तक में अन्यतीर्थिक आदि के साथ भिक्षा, स्थंडिल भूमि, विहार भूमिस्वाध्याय भूमि तथा ग्रामानुग्राम विहार करते समय साथ-साथ चलने का तथा वापस साथ-साथ
आने का तथा आहार के देने-दिलाने का निषेध किया गया है। ___अन्यतीर्थिक का अर्थ है-अन्य धर्म-सम्प्रदाय या मत के साधु। यहाँ पर गृहस्थ से आशय है-जो दूसरों के अन्न पर जीता हो, घर-घर से आटा माँगकर जीवन-निर्वाह करने वाले गृहवेषी साधु या भिखारी या याचक। पारिहारिक का अर्थ है-आहार के दोषों का परिहार करने वाला शुद्ध आचार वाला साधु और अपारिहारिक से मतलब है जो शिथिलाचारी हैं, साध्वाचार में लगे दोषों की विशुद्धि न करने वाले पार्श्वस्थ, अवसन्न, कुशील, संसक्त और स्वच्छन्द आचारी आदि साधु हैं। ___टीका के आधार पर विस्तार करते हुए आचार्य श्री आत्माराम जी म. ने साथ-साथ जाने का निषेध करने के पीछे जो भाव है उस पर प्रकाश डाला है। मुख्य बिन्दु ये हैं
(१) भिक्षा के लिए साथ जाने से गृहस्थ के मन पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है। (२) गृहस्थ अनेषणीय आहार देने पर विवश हो सकता है। (३) उचित आहारादि न मिलने पर अन्यतीर्थिक आदि गृहस्थ की बदनामी कर सकते हैं।
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यहाँ '४' का चिह्न 'पाणं वा खाइमं वा साइमं वा'-इन शेष तीनों आहारों का सूचक है। आगे सर्वत्र इसी प्रकार समझें।
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आचारांग सूत्र (भाग २)
Acharanga Sutra (Part 2)
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