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period crude ladders were used for climbing and the chances of falling or other such accidents were higher. That is why higher places were called difficult places. However, staying at such higher places is not proscribed if there is an easy passage, walls do not crumble due to movement, and there is no chance of going against the codes while attending to daily chores. (Acharanga Hindi Tika, p. 970) ___ विशेष शब्दों के अर्थ-स्कन्ध-प्राकार या एक खम्भे पर टिकाया हुआ उपाश्रय। फलिहो
अर्गला। मंचो-बिना दीवार का स्थान, वही मण्डप होता है। मालो-घर के ऊपर जो दूसरी आदि मंजिल हो। पासादो-अनेक कमरों से सुशोभित महल। हम्मतलं-सबसे ऊपर की अटारी।
Technical Terms : Skandh-an upashraya on a pillar or scaffold. Faliho-door-chain or bolt. Mancho-a covered place without walls; pavilion. Malo-storeys in a building. Pasado-a palace with many rooms. Hammatalam-a loft; room at the top of a house.
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सागारिक उपाश्रय का निषेध
८६. से भिक्खू वा २ से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा, सइत्थियं सखुटुं सपसु- , भत्तपाणं। तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा ३ चेइज्जा।
८७. आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइकुलेण सद्धिं संवसमाणस्स। अलसगे वा विसूइया : वा छड्डी वा णं उव्वाहेज्जा। अण्णयरे वा से दुक्खे रोगायंके समुप्पज्जेज्जा। अस्संजए: कलुणपडियाए तं भिक्खुस्स गायं तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा वसाए वा अब्भंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा, सिणाणेण वा कक्केण वा लोद्धेण वा वण्णेण वा चुण्णेण वा पउमेण वा आघंसिज्ज वा पघंसिज्ज वा उव्वलिज्ज वा उव्वट्टिज्ज वा, सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलिज्ज वा पक्खालिज्ज वा सिणाविज्ज वा सिंचिज्ज वा दारुणा वा दारुपरिणामं कटु अगणिकायं उज्जालेज्ज वा पज्जालिज्ज । वा उज्जालित्ता, पज्जालित्ता कायं आयाविज्ज वा पयाविज्ज वा।
अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा एस पइण्णा ४ जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा ३ चेइज्जा ।
८६. जो उपाश्रय स्त्रियों से, बालकों से, पशुओं आदि क्षुद्र प्राणियों से तथा पशुओं या : गृहस्थों के खाने-पीने आदि पदार्थों से भरा हो तो ऐसे उपाश्रय में साधु-साध्वी नहीं ठहरें।
८७. गृहस्थ परिवार के साथ (एक ही मकान में) साधु का निवास करना दोष का कारण है । वहाँ निवास करते हुए साधु को कदाचित् हाथ, पैर आदि का स्तम्भन (शून्यता : आचारांग सूत्र (भाग २)
( १७२ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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