________________
4..
.
.
.
.
..
.
.
drink with equanimity whatever flavoured and good or bitter drinks he gets as alms and not throw even the smallest portion.
अधिक आहार का उपयोग
६६. से भिक्खू वा २ बहुपरियावण्णं भोयणजायं पडिगाहेत्ता साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया समणुण्णा अपरिहारिया अदूरगया। तेसिं अणालोइया अणामंतिया परिहवेइ। मायट्ठाणं संफासे। णो एवं करिज्जा।
से त्तमायाए तत्थ गच्छिज्जा २ गच्छित्ता से पुव्वामेव आलोएज्जा-आउसंतो समणा ! इमे मे असणे वा ४ बहुपरियावण्णे, तं भुंज ह णं; से सेवं वदंतं परो वइज्जा-आउसंतो समणा ! आहारमेयं असणं वा ४ जावइयं २ सरइ तावइयं २ भोक्खामो वा पाहामो वा। सव्वमेयं परिसडइ सव्वमेयं भोक्खामो वा पाहामो वा।
६६. साधु-साध्वी भिक्षा के निमित्त गृहस्थ के घर में जाकर उसके यहाँ से बहुत-सा नाना प्रकार का भोजन ले आएँ (और उतना आहार उससे खाया न जाए तो) वहाँ जो अन्य साधर्मिक, सांभोगिक, समनोज्ञ तथा अपरिहारिक साधु जो उपाश्रय के नजदीक हों, उन्हें पूछे बिना निमंत्रित किये बिना यदि उस आहार को परठ देता है, वह साधु-साध्वी माया-स्थान का स्पर्श करता है। ऐसा नहीं करना चाहिए।
सर्वप्रथम वह साधु उस आहार को लेकर उन साधर्मिक, समनोज्ञ साधुओं के पास जाए। वहाँ जाकर इस प्रकार कहे-"आयुष्मन् श्रमणो ! यह चारों प्रकार का आहार हमारी आवश्यकता से बहुत अधिक है, अतः आप इसका उपभोग करें।" इस प्रकार कहने पर कोई भिक्षु यों कहे कि-"आयुष्मन् श्रमण ! इस आहार में से जितना हम खा-पी सकेंगे, खा-पी लेंगे, अगर हम यह सारा का सारा उपभोग कर सकें तो सारा खा-पी लेंगे।"
EXCESSIVE FOOD
66. If a bhikshu or bhikshuni entering the house of a layman brings back large varieties (and quantity) of food and (when unable to eat that much) throws away (the extra quantity) without asking or inviting other sadharmik (co-religionist), sambhogik (affiliated). samanoina (conformist), apariharik (who has not renounced services by other ascetics) ascetics who live near the upashraya, he is committing deceit. He should not do so.
पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
( १२१ )
Pindesana : Frist Chapter
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org