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५१. से भिक्खू वा २ से जं पुण मंथुजायं जाणेज्जा, तं जहा-उंबरमंथं वा णिग्गोहमंथु वा पिलक्खुमंथु वा आसोत्थमंथु वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं मंथुजायं आमयं दुरुक्कं साणुबीयं अफासुयं जाव णो पडिगाहेज्जा।
५२. से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणेज्जा, आमडागं वा पूतिपिण्णागं वा मंथं वा मज्जं वा सप्पिं वा खोलं वा पुराणगं, एत्थ पाणा अणुप्पसूआ, एत्थ पाणा जाया, एत्थ पाणा संवुड्ढा, एत्थ पाणा अवक्कंता, एत्थ पाणा अपरिणता, एत्थ पाणा अविद्धत्था, णो पडिगाहेज्जा।
४९. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में आहारार्थ प्रवेश करने पर अगर वहाँ प्रवाल (-नये पत्ते, कोंपल) के ये भेद जाने, जैसे कि-पीपल का प्रवाल, बड़ का प्रवाल, विफरी के वृक्ष का प्रवाल, नन्दी वृक्ष का प्रवाल, शल्यकी (सल्लकी) वृक्ष का प्रवाल या अन्य उस
प्रकार का कोई प्रवाल है, जो कच्चा और शस्त्र-परिणत नहीं है, तो ऐसे प्रवाल को अप्रासुक जानकर मिलने पर ग्रहण न करे।
५०. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में भिक्षार्थ प्रवेश करने पर सरडु (-बिना गुठली वाले कच्चे फल) के ये भेद जाने, जैसे कि-शलाद (-आम्र) फल, कपित्थ (कैथ) का कोमल फल, अनार का कोमल फल, बेल (बिल्व) का कोमल फल अथवा अन्य इसी प्रकार का कोमल फल, जोकि कच्चा और शस्त्र-परिणत नहीं है, तो उसे अप्रासुक जानकर प्राप्त होने पर भी न लेवे।
५१. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए जाने पर मन्थु-चूर्ण के (हरी वनस्पति के) ये भेद जाने, जैसे कि-उदुम्बर (गुल्लर) का चूर्ण, बड़ का चूर्ण, पीपरी फल का चूर्ण, पीपल का चूर्ण अथवा अन्य इसी प्रकार का चूर्ण है, जोकि अभी कच्चा व थोड़ा पीसा हुआ है और जिसकी योनि-बीज नष्ट नहीं हुआ है, तो उसे अप्रासुक और
अनेषणीय जानकर प्राप्त होने पर भी न लेवे। ___५२. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर भिक्षा के लिए प्रवेश करने पर यह जान जाए कि वहाँ कच्ची (अधपकी) भाजी है, सड़ी हुई खली है, मधु, मद्य, घृत और मद्य के नीचे का कीट (कीचड़) बहुत पुराना है तो उन्हें ग्रहण न करे, क्योंकि उनमें प्राणी पुनः उत्पन्न हो जाते हैं, पुनः जन्मते हैं, संवर्धित होते हैं, इनमें प्राणियों का व्युत्क्रमण नहीं होता, न ही विध्वंस होता है। ये शस्त्र-परिणत नहीं होते इसलिए मिलने पर भी उन पदार्थों को ग्रहण नहीं करे।
49. A bhikshu or bhikshuni on entering the house of a layman in order to seek alms should know about the following types of पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana : Frist Chapter
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