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(७) हरियाले - हड़ताल | (८) हिंगुलुए - हींगलू |
(९) मणोसिला - मैनसिल ।
(१०) अंजणे - अंजन |
(११) लोणे - नमक ।
(१२) गेरुय - गेरू (लाल मिट्टी ) ।
(१३) वण्णिय - पीली मिट्टी |
(१४) सेडिय - खड़िया मिट्टी |
(१५) सोरट्ठिय - सौराष्ट्रका (सौराष्ट्र में पायी जाने वाली एक प्रकार की मिट्टी, जिसे 'गोपीचन्दन' भी कहते हैं; फिटकरी) ।
(१६) पिट्ठ - तत्काल पीसा हुआ, बिना छना आटा ।
(१७) कुक्कुस - चूर्ण के छान से।
(१८) उक्कुट्ठ-गीली वनस्पति का चूर्ण या फलों के बारीक टुकड़े।
इनमें पुरः कर्म, पश्चात्कर्म, उदकार्द्र और संस्निग्ध ये चार अप्काय से सम्बन्धित हैं । पिष्ट, कुक्कुस और उक्कुट्ठ-ये तीन वनस्पतिकाय से सम्बन्धित हैं और शेष ग्यारह पृथ्वीकाय से सम्बन्धित हैं।
Elaboration-This aphorism contains the rule that if the hands, utensils, serving spoons etc. of the donor are wet or smeared with sachit water etc. the food should not be accepted, if it is not so, the food could be accepted.
Main reason for this censure is that taking food given with such smeared hands causes faults related to ahimsa. Modern science also affirms that impure water is contaminated with bacteria and other such things. When food comes in contact with hands and utensils washed with such water, it also gets contaminated. Thus the rule is important from the health angle as well.
In the commentary (Churni) of Nisheeth Bhashya the eighteen faults related to smearing are as follows
पिण्डैषणा: प्रथम अध्ययन
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Pindesana: Frist Chapter
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