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of life. And, has purchased or borrowed or forcibly snatched these from others or brought these without the permission of his partner, or brought these from his home, specifically for the ascetic. Or, he is constructing an upashraya for the ascetic. Then the ascetic, keeping in mind the tenets from Agams and examining accordingly, should'frankly tell the householder that the use of all these is proscribed for him (therefore he cannot accept these).
-So I say.
२०७. भिक्खं च खलु पुट्ठा वा अपुट्ठा वा जे इमे आहच्च गंथा फुसंति-से हंता हणह खणह छिंदह, दहह, पचह, आलुपह, विलुपह, सहसाकारेह विप्परामुसह-ते फासे पुट्ठो धीरो अहियासए। ___ अदुवा आयार-गोयरमाइक्खे तक्कियाण मणेलिस। अदुवा वइगुत्तीए गोयरस्स अणुपुव्वेण सम्म पडिलेहाए आयगुत्ते।
बुद्धेहिं एयं पवेइयं।
२०७. भिक्षु से पूछकर या बिना पूछे ही किसी गृहस्थ ने भिक्षु के निमित्त अशन, पान आदि बनाया हो, (किन्तु भिक्षु के द्वारा उसे अस्वीकार कर देने पर), कुपित होकर वह गृहस्थ उसे परिताप देता है; वह सम्पन्न गृहस्थ क्रोधावेश में आकर स्वयं उस भिक्षु को मारता है, अथवा अपने नौकरों को आदेश देता है कि इस (-व्यर्थ ही मेरा धन व्यय कराने वाले साधु) को डण्डे आदि से पीटो, घायल कर दो, इसके हाथ-पैर आदि अंग काट डालो, इसे जला दो, इसका माँस पकाओ, इसके वस्त्रादि छीन लो या इसे नखों से नोंच डालो, इसका सब कुछ लूट लो, इसके साथ जबर्दस्ती करो अथवा जल्दी ही इसे अनेक प्रकार से पीड़ित करो। उन उक्त प्रकार के कष्टों के आ जाने पर भिक्षु धीरतापूर्वक उन्हें समभाव के साथ सहन करे। ___ अथवा वह आत्मा की रक्षा करने वाला मुनि उन गृहस्थों को (समझने योग्य जाने तो उन्हें) सम्यक् प्रेक्षापूर्वक (उनके विषय में भलीभाँति जानकर) अपना उत्तम श्रेष्ठ आचार-गोचर बताये। अथवा वे समझने योग्य न हो (या मुनि में समझाने की क्षमता न हो), तो वह अपनी वचन गुप्ति रखे-अर्थात् मौन रहे।
ज्ञानी आचार्यों ने ऐसा कहा है।
207. Some householder prepares food, drinks, etc. for an ascetic with or without his approval and gets angry (on being विमोक्ष : अष्टम अध्ययन
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Vimoksha : Eight Chapter
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