________________
श्री नन्दी-सुत्तं नंदीसूत्र की भव्यता जीवन को मंगलमय बनाने के लिए श्री जिनेश्वर देव, श्री गुरु, श्री संघ और सम्यग्ज्ञान से आशिर्वाद लेने के लिए श्री नंदीसूत्र का पठन किया जाता है. इन चारों को की गइ वंदना हमे आध्यात्मके मार्ग पर लाकर सच्चे सुख का अनुभव कराती है. यह पवित्र सूत्र आप सब की जिंदगी में सुख, शांति और धैर्य लाये ऐसी मंगल कामना
णमोऽत्थु णं तस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स वीरस्तुति जयइ जग-जीव-जोणी, वियाणओ जगगुरू जगाणंदो। जगणाहो जगबंधू, जयइ जगप्पियामहो भयवं ।। १ ।। जयइ सुआणं पभवो, तित्थयरामं अपच्छिमो जयइ। जयइ गुरू लोगाणं, जयइ महप्पा महावीरो ।।२।। भदं सव्वजगुज्जोयगस्स, भदं जिणस्स वीरस्स। भई सुरासुरनमंसियस्स, भदं धूय रयस्स ।। ३ ।। संघस्तुति गुण-भवण-गहण, सुय-रयण-भरिय-दसण-विसुद्ध-रत्थागा। संघ-नगर ! भदंते, अखंड-चारित्त-पागारा।।४।। संजम-तव तुंबारयस्स, नमो सम्मत्तपारियल्लस्स। अप्पडिचक्कस्स जओ, होउ सया संघ-चक्कस्स ।। ५ ।। भई सीलपडागूसियस्स, तव-नियम-तुरय-जुत्तस्स। संघ-रहस्स भगवओ, सज्झायसु नंदिघोसस्स ।। ६ ।। कम्मरय-जलोहविणिग्गयस्स, सुयरयण-दीहनालस्स पंचमहव्वय-थिरकण्णियस्स, गुणकेसरालस्स ।। ७ ।।
SAMARPAN - DEDICATION
1