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________________ Name of Work. No. of | No. of Author's name.|| No. of lines on letters | leaves. | each in each page. line. Age. | Remarks. (98 ) Ends भवजलहि । सासयसुह संपत्तु ३० श्रीमहावीरस्तोत्रं समाप्तम् ।। दशवैकालिकसूत्रम्-मागधी .......... पाक्षिकसूत्रम् .................. १७१ । पारिठासंठिअण-सुयणरयणा वा ......... यशोदेवसूरिः | २५९ / ९३२-३९ | १२८९ उद्योतनसूरिBegins शिष्यः-मुनिचंद्रनमह नयनमिर नरवइसरसिरुहवियासणम् ।। धर्मसहोदरः भुवणपणयं नियतमतिमिरनियर वीरजिणदिसरं सिरसा ||१|| --- इय नमिउं वीरजिणं थोउण सरस्स ईच भावेणम् ।। भवियजण बोहणत्थं उवएसं किंचि वोछामि || ३ ॥ Endsइइ वलिक्वारेणं कन्वकरणणि जायवसणेणम् ॥ एसा कहिया रइया तेणय णोणुसरणथम् ।। २० ॥ पारिठासंठिए संमत्ता वड्डावल्लीपुरीए एसा फग्गुणचउमासे पज्जुन्न सूरिणो धम्मनत्तुएणं तु सुयणुसारेण गणिणा जसदेवेणं उद्धरिया एत्थ पढमयई २३ पूजाविधानं समाप्तमिति ॥ संवत् १२८९ ।। १७२ | पाण्डवचरित्रम्-एकादशसर्गात् २३४ | ... | ... | ... | Endsविहिरेफार्पितमहिममहाकाव्यमेतद्धिनोतु ॥ २८ ॥ इति मल्लधारिश्रीदेवप्रभसूरिविरचिते पांडवचरित्रष्टादशः सर्गः ॥
SR No.007578
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1883
Total Pages275
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size115 MB
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