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________________ १५५ १५६ १९७ - क्षेत्रसमासः |Begins || सिरिनिलय केवलिणं अवितहवयणं नमित्तो वीरजिणम् ॥ नरखित्तविआरलवं बुछामि सुआउ सपरहिअम् || १ || Ends इअ नरखित्तंविआरो सोमतिलयसूरिणा समासेन || लिहिउ सपरसि हिउ सोहेअव्वो सुअहरेहि ॥ ३३ ॥ इति क्षेत्रसमासः समाप्तः ॥ भवभावना - कल्याण मंदिरस्तोत्रम् - वीतरागस्तोत्रम् -ऋषिमंडलम् |Begins भत्तिभर मिरसुरवर किरीड Ends समणहं काउसोलहइ सिद्धिसुहम् || २१० ॥ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रस्य - चतुर्थ पर्व धर्मोपदेशमाला वीरचरियम्... Begins वीर जिणे सरवरचरिउ अइसयसहि मर्हितु Ends वर जिणेसरसूरि सीसिं । सुविहियह नम् ॥ कम्मपयडि - सावचूर्णि — मागधी Begius सिद्धोनिद्धुयकम्मो सहम्मपणापगो तिजग . सोमतिलकसूरिः १०८ वीरचरियं सम्म - हेमचन्द्रः ...... जिनेश्वरसूरिः : २९३ ४७ ११९ : : ३ ३-५८०-८५ ७० : ::: संपूर्णम् अपूर्णम् ( 93 )
SR No.007578
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1883
Total Pages275
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size115 MB
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