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- क्षेत्रसमासः |Begins
|| सिरिनिलय केवलिणं अवितहवयणं नमित्तो वीरजिणम् ॥ नरखित्तविआरलवं बुछामि सुआउ सपरहिअम् || १ ||
Ends
इअ नरखित्तंविआरो सोमतिलयसूरिणा समासेन || लिहिउ सपरसि हिउ सोहेअव्वो सुअहरेहि ॥ ३३ ॥ इति क्षेत्रसमासः समाप्तः ॥
भवभावना
- कल्याण मंदिरस्तोत्रम्
- वीतरागस्तोत्रम्
-ऋषिमंडलम्
|Begins
भत्तिभर मिरसुरवर किरीड
Ends
समणहं काउसोलहइ सिद्धिसुहम् || २१० ॥ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रस्य - चतुर्थ पर्व
धर्मोपदेशमाला
वीरचरियम्... Begins
वीर जिणे सरवरचरिउ अइसयसहि मर्हितु Ends
वर जिणेसरसूरि सीसिं । सुविहियह
नम् ॥
कम्मपयडि - सावचूर्णि — मागधी
Begius
सिद्धोनिद्धुयकम्मो सहम्मपणापगो तिजग
. सोमतिलकसूरिः
१०८ वीरचरियं सम्म -
हेमचन्द्रः
......
जिनेश्वरसूरिः
:
२९३
४७
११९
:
:
३
३-५८०-८५
७०
:
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संपूर्णम्
अपूर्णम्
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