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(Ends
प्रश्नोत्तरमालेयं कंठगता कं न भूषयति ॥ २८ ॥
प्रश्नोत्तररत्नमाला समाप्ता ॥
विवेक मंजरी
|Begins
सिद्धपुरसत्थवाहं नमिऊण चरमजिणणाहम् || सवणमुहारससरियं वोछामि विवेगमंजरिअम् || १॥
|Ends
सिरिभिल्ल माल निम्मलकुलसम्भवकदुअरायतएण ॥ इय आसडेण रइयं वसुजलहिदिणेसवरिसंमि || १४४ ॥ विवेकमंजरी सम्मत्ता ॥
| - संगृहणीरत्नम् - वा त्रैलोक्यदीपिका - मागधी. Begius
|| नमोवीतरागाय ॥
नमिउं अरिहंताइ ठिइभवणोगाहणा य पत्तेयम् ॥ सुरनारयाण बुछं नर तिरियाणं विणा भवणम् || २ || उववायचवणविरहं संखं इगसमइयं गमागमणे ॥
Ends
मलहारिमसूरीण सीसलेसेण सूरिणा रइयम् ॥
संघयणिरयणमेयं नंदउ जा वीरजिणतित्थम् || ३१८ ||
-उपदेशमाला
सुदंसणाचरित्तम् — मागधी.
Ends
अरहंतसिद्ध आयरियसुहयउ (व) झ्झाय साहुभत्तीए ॥ जं परममंगलं मंगलाणं होउ सव्वाणं श्रीसु
आसड:
चन्द्रसूरिः
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२२३
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२-५ ५०-६० १२४४
संपूर्णम्
च.
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