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________________ ११२ (Ends प्रश्नोत्तरमालेयं कंठगता कं न भूषयति ॥ २८ ॥ प्रश्नोत्तररत्नमाला समाप्ता ॥ विवेक मंजरी |Begins सिद्धपुरसत्थवाहं नमिऊण चरमजिणणाहम् || सवणमुहारससरियं वोछामि विवेगमंजरिअम् || १॥ |Ends सिरिभिल्ल माल निम्मलकुलसम्भवकदुअरायतएण ॥ इय आसडेण रइयं वसुजलहिदिणेसवरिसंमि || १४४ ॥ विवेकमंजरी सम्मत्ता ॥ | - संगृहणीरत्नम् - वा त्रैलोक्यदीपिका - मागधी. Begius || नमोवीतरागाय ॥ नमिउं अरिहंताइ ठिइभवणोगाहणा य पत्तेयम् ॥ सुरनारयाण बुछं नर तिरियाणं विणा भवणम् || २ || उववायचवणविरहं संखं इगसमइयं गमागमणे ॥ Ends मलहारिमसूरीण सीसलेसेण सूरिणा रइयम् ॥ संघयणिरयणमेयं नंदउ जा वीरजिणतित्थम् || ३१८ || -उपदेशमाला सुदंसणाचरित्तम् — मागधी. Ends अरहंतसिद्ध आयरियसुहयउ (व) झ्झाय साहुभत्तीए ॥ जं परममंगलं मंगलाणं होउ सव्वाणं श्रीसु आसड: चन्द्रसूरिः 717 २२३ : : २-५ ५०-६० १२४४ संपूर्णम् च. ( 75 )
SR No.007578
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1883
Total Pages275
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size115 MB
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