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१०७ | शालिभद्दचरित्तम्................
Begins, मुरवरकयसम्माण [मरवरकयमाणं] नठ हि] नीसेसमाणं भवजलहिमुजाणं सतहत्यप्पमाणम् ।। वियरियवरदाणं छिन्नकम्मारिनाणं पयडियवरनाणं वदिउं वद्धमाणम् ॥१॥ वोठामि सालिभदस्स पवित्त वरमंगलं चरियम् Ends
जेय वख्वाणयंती नरसुरवरसोख्खं भुजिउ जति मोख्खम् ।। १७७ ।। इति सालिभद्दचरितं समाप्तम् ||
सुकोसलाख्यानकम् |Begins
अह पत्तो वीसइमो जिणं तेरे Endsमयदेवी हरउ अह्माणम् १०१ मुकोसलाख्यानक समातम् ।।
सुबाहुचरियम् Begins
नमिउण महावीरं ससुरासुरमणुयवंदियं सिरसा ।। वोछं सुबाहुचरियं गुरूवएसाणुसारेण || १ ।। Endsएयं सुबाहुचरियं गुणसद्धिएण धीरेण सिद्धं तु ता सण मोख्वम् ।। २२८ अजितशान्तिस्तवनम्-मागधी पावपडियायपगरणम् Begins
सवणुणे १०८ क्षेत्रसमासः-वा जंबुद्वीपसमासप्रकरणम्
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