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-वंदणनियुक्तिः Beginsवंदण चिइ किइकम्म पूयाकम्मं च विणयकम्मं च ॥
कायचं कस्स व केण वावि काहेव कइ खुत्तो ।। १॥ Ends
एवं कियकम्मविहिं जुजुता चरणकरणमाउत्ता । साहू खवंति कम्म अणेगभवसंचियमणंतम् ।। १९४ ।। वंदणनियुक्तिः समाप्ता । -पच्चख्खाणनियुक्तिः Begins
पचख्खाणं पचख्खार्ड Ends,
जं चरणगुणठिर्ड साहू || पच्चख्खाणनिज्जुनी सम्मत्ता ॥ -कुसलानुबंधज्झा [ज्झ] यणम् Begins
सावज्जजोगविरह Ends
इय जीवपमायमहारिवीरभदं तमेयमसूयणं----सुहाणम् ।। ६२ ।। कुसलानुबंधज्झायणं सम्मत्तम् ।। -आउरपच्चख्खाणम् Begins
देसेक्वदेसविरः Endsदेसउँखयं सव्वदुख्खाणम् ।। ६०॥ आउरपच्चक्खाणं सम्मत्तम् ।।
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