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ge. | Remarks.
नमिउण तिलोयगुरुं लोयालोयपयासयं वीरम् ।।
विभ्भमविणासहेतुंणुष्टाणविधि पत्रख्खामि ॥३॥ | Ends
पारे यव्वंति ॥७॥
इय एसो अठोत्तरपोसहविही सम्मत्तो॥छ॥ श्लो०१०४६ ॥ ५२ कर्मविपाका .... Ends
कम्मविवागं तु सो अइरा ॥ छ॥ १६८ || कर्मविपाकः समाप्तः॥ ५३ | भगवतीसूत्रम् ...... ५४ उपदेशपदानि.
गर्गमहर्षिः
।
२५
३ ३०-३५ / ... | अपूर्णम् त्रु.
| ५-१६० ५-७ ५५-६९ | ... | अपूर्णम् त्रु. हरिभद्रसूरिः | २८-५ ५ ६० ... | अपूर्णम् ।
( 34 )
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लेसुदेसेण उवदेसपयाइ है समख्खाया---या उद्धरिउणं मंदमतिविबोहणठाए जाइणिम[म्म]यहरियाए रइता एतेउ धम्मपुत्तेण
हरिभदायरिएणं भवविरह इच्छमाणेणं ॥
हरिभद्रसूरि रि:] कृतिः॥ ७॥ गाथानां १०४०. ५५ | त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्रस्याष्टमं पर्व......
हेमचंद्रसूरिः । २३४ | ३-५ ८१-८५/ ... | संपूर्णम् |Begins
।। अहं ।। ऊँ नमो विश्वनाथाय जन्मतो ब्रह्मचारिणे ॥ कर्मवल्लीवनछेदनेमये रिष्टनेमये ॥१॥ Endsविस्मयाय त्रिलोक्याः। १२८