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[नन्दिषेणमुनिः] .... | ... ... | ..... ......
सिद्धसेनसूरिः
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॥ जइआ समणभयन्वो महावीरे जिणुनमे ॥ लोगनाहे प [स] यंबुद्धे लोगं चिय विबोहिणे ॥१॥ Ends
अह्माणं देउ निव्वुई ।। २०॥ इयपरमपमोया ॥ -अजितशांतिस्तवः-मागधी ..... Begius,
॥ अजियं जियसव्वभयं संतिं च पसंतसव्वगयपावम् ।। जगगुरुसंतिगुणकरे दोवि जिणवरे पणिवयामि ॥१॥ Ends
आयरं कुणह || ४० ॥ अजितशांतिस्तवं समाप्तम् ॥ -एकवीसठाणम्-मागधी .... Begins।। नमो वीतरागाय || चवणविमाण नयरी जणगा जणणीय रिक्खा ॥ रासीउ लछण पमाण आउं वनंतर दिक्ख तव भिक्खा ॥२॥ नाण ठाणं गणहर मुणि अज्जियसंख जक्ख देवीः ।। सिद्धिठाणं च कमेण वसहिमो जिणवरिंदाणं ||२|| Endsइयं एक्ववीस ठाणा उद्धरिया सिद्धसेणसूरीहिं ।। चउवीसजिणवराणसस[णं असेस] साह[हारणाभणिय [या] || ६५ ।। एक्ववीसठाणं सम्मत्तम् ॥ -दूसमकंडिका-मागधी Begins--
॥ नमो वीतरागाय ॥ नमि उण जिणवराणं णिज्जियसमणाणणिम्ममत्ताणं ।। वोछंदूसमगंडी गुरूवएसाणुसारेण ॥१॥
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