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Ends
जम्हा एसो सुद्धो अनिथाणो होइ भावियमईण ||
तम्हा करेह सम्म जह विरहो होइ कम्माणं || ४४ || पंचाशकप्रकरणं समाप्तमिति ||
आराधनाप्रकरणम् - मागधी.
Begins
आलोयणोवयारं उच्चारा खामणा अणसणं च || सुहभावणा नमोक्कारभावेणं चत्ति समणविही ॥ १ ॥
Ends
इय अभयसूरिविरद्दयं आराहणपगरणं पढताण || सत्ताण होइ नियमा परमा कलाणनि फत्ती || ८५ ॥ उपदेश प्र० - मागधी
Begins
नमिऊण महाभार्ग तिलोगनाहं जिणं महावीरम् || लोयालयभियंकं सिद्धं सिद्धोवए सत्थम् || वोछं उवएसपए कइइ अहं तदुवएसउ सुयमे ॥ भावत्थसारजुत्ते मंदमइविबोहणठाए || २ ||
Ends
१११० अनियय सठावया कालिकाचार्यकथा - आर्याबद्धा - मागधी
|Begins
॥ ॐ नमो वीतरागाय ॥
हयपडिणीऊ कइतित्थउन्नई जयर्ड कालगायरियम् ॥ विज्जाणंदरिसीणय देविंदोधम्मकित्तिधरो || १ || मगहेसु धरावासंमि वर सी होनिवो [भिधो ] पिया तस्स || सरसुंदरित्तिपुत्तो कालऊ [ कालिङ] सरसई उहिया || २ ||
अभयसूरिः
यशोभद्रसूरिः
४
५०
४-५ ४७-५५
४-६ ७०-७६
५-७ | १२०
१२५
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:
संपूर्णम्
अपूर्णम् त्रु.
अपूर्णम्
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