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अपूर्णम् मध्ये त्रु.
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महावीरचरित्रम् -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रान्तर्गतपर्व १०.
हेमचन्द्रः वसुदेवहिण्डस्य मध्यमखण्ड:-मागधी ....... |Begins|| नमः सर्वज्ञाय ।। जयत्यनेकांतकंठीरवः॥ जयइ नवनलिणकुवलयवियसियवरकमलपत्तलडहत्थो ।। उसभो सभावसुललियमयगलगइ ललियपत्थाणो || जयइ य पणय पुरंदरणहापहा हसितभूसणवार्ड ।। वीरो समत्ततिहुय णलोयणकमलागराइचोर || तत्तोयपणयसुरवइमउडतडाघडललितकमजुयला ॥ अजियाइपासचरिमा सेसावि जयंति जिणचंदा ॥ भवसिद्धिबुद्धिमंगल जय सिव सुपसत्थ सिद्धकल्लाणा । जहणो जयंति लोए निचंपि हु सुहफलासिद्धा ॥ नमिउण त [तं] विणएणं संघमहारयणमंदिरगिरस्स ।। वोछामि सुणह निहुया खंडं वसुदेवचरियस्स ॥ Ends
पउमसिरी ललितसिरी रोहिणी बालचंदाय एवं वसुदेवभारियाए सतं सम्मतम् | सम्मत्ताय वसुदेवहिंडी संगहणी सम्मत्तं च वसुदेवहिंडीए माज्झिमकडम् | ग्रंथागं १७०००-पत्र ३९४ ।। श्रीजिनेन्द्र चरित्रम्-पमानन्दापरनामकमहाकाव्यम्......
................ अमरचन्द्रः Begins
॥ स्वस्ति श्रीर्जयोभ्युदयश्च ॥ अहे नौमि सदाहत्यकारणं सकलाहताम् ॥ स्वस्वस्तिश्रीजयश्रीमन्महानंदमहोमयम् ॥१॥
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। ४१० / ३-४ ९९-१०१/ १२९७ | संपूर्णम्
བའི་ ཨ ་་་་་་ མ་ ཚེ་