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विषय और प्रश्नादि प्राणातिपात विरमण करे इत्यादि अधिकार
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प्रतिपादन ६५२ प्राणातिपातविरत जीव कितनी कर्म प्रकृति वाषै इत्यादि २७ मग निरूपण एव प्राणातिपातविरत जी क २७ भागे एव मृषादविरत यावत् मायामृषाविरत जीव मनुष्य को कहा, मिथ्यादर्शनात्ययिरत का निरूपण, २७ मागे कई एवं क्रिया निर्णय पाचो क्रियाओ का अस्पबहुत्व निरूपण ( २२ क्रिया पद समाप्त )
पत्राक
॥ ३२ वा पद कहते हैं ॥ कतिपगढी कहि यधह इत्यादि द्वार गाथा
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६५९
६६०
fare और प्रश्नादि
पत्राक
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ज्ञानावरणी आदि कर्मप्रकृति कही नारकी की कितनी कर्मप्रकृति एव यावद्वैमानि | क, कैसे जी पाठ कर्मप्रकृति वा एव मानिक पर्यन्त ६६१ ज्ञानावरणी कर्म जी कैसे याचे इत्यादि १६ ढक अधिकार ६६२ जीव ज्ञानावरणी कर्म वेदे, नारकी ज्ञानावरणी कर्म वेदे एव वैमानिक पर्यन्त व शप कर्म प्रकृति दडक भी कहना ६६३ ज्ञानावरणी कर्म जीयने याधा स्पृष्ट स्पृष्ट सच्या चिणा यावत् गति को पाक स्थिति को पाक पुलपरिणाम को पार्क कितने प्रकार छा नुभाग कहा इत्यादि ६६५