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पत्राक
पत्राक
विपय और प्रभूनादि
विषय और प्रशनादि रीर पाच प्रकार है। ५९२ | काय मसूरच सस्थान सस्थित , एव सूक्ष्म प पृषिधीकाय एफेंद्रिय औदारिफ शरीर सूक्ष्म था
थिवीका पादर कानी कहा। ५९६ | दर नेदसे दो नेद, सूदन तथा धादरनी पर्याप्त अपकाय स्तिषुकविदु सस्थान , सूक्ष्न वादरपर्या
थपर्याप्त नेदसे प्रत्येक दो दो नेदह। ५९२ प्ता पर्या० नी, सेज सूचीकलाप सस्थित एवं एव वनस्पतिकाय एकेद्रिय औदारिफनी कहा | ५९३ सूक्ष्मयादर पर्या० पर्या० नी , घायु पताका द्विप्रिपतुरिद्रिय औदारिफशरीर पर्या० छपर्या० । सस्थान सस्थित है, एव सूक्ष्मादि नाह , धन
नेवसे द्विषिष कहाई ५९३ स्पति नानासंस्थान संस्थित है, एष सूक्ष्मादि पचेद्रिय थीदारिक शरीर तिर्यंच मनुष्यसे दो, नोई, दींद्रियोदारिफ शरीर जासस्थान है। नेद है, सिर्यच औदारिक तीन दह एष जल एवं तेरिंद्री परिद्री जी, पर्चेद्रिय तिर्यंघको
स्थत नवरादि नेदनिर्णय ५९३ छ सस्थान है. पूर्या पर्याय कोली पर मनुष्य पचेंद्रियौदारिफ शरीर दो नेव, इत्यादि ५९५ [पर्यो० थापा सम्मम्चिमा पचे भतिर्यचन्ह
यौदारिफ शरीर नानासंस्थान संस्थित एक app गनज पर्चेद्रिय तिर्यच नाना है, | ठिय का थीदारिक नानासस्थान पि एवं तिच के ९ पलावे है , जलचर में ६