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विपय और प्रश्नादि पत्राक विषय और प्रश्नादि
पत्राक देव मी भेद यह दो पृथिवी से वैमानिक से
मे जाय उपजे एह निर्णय ५८८) होय शेप नही होय ५८६ चार प्रकार असज्ञि आयु कहा , असज्ञी जीव मडलीफ सातमी से तेज वायु से नही, सेनापति क्या नैयिकायु करे कि देवायु करे एव मनु
आदि भी एव ५८६ प्यायु देवायु जैसे नारकायु , एह नारकी प्रस अश्वरत्न हस्तिरत्न रत्नप्रभा से निकल यावत् सह ज्ञियायु यायत देव असनि आय मे कौन सारदेव हो', चक्ररत्न धर्म दर बत्र मणि असि
किस्से थोडा घणा है एघ अपयजत्य ५९० काकिणिरत्न असुरकुमार स इशान तक हो ,
(२० या अतक्रिया पद पूर्ण) शेष नही , असयत भविकद्रव्य देव अविरा धिससमम विराधित सयमा सयम मे पिराधि
॥२१ वा कहते हैं। त सयमा सयम असझी तापस कादर्पिक घर विहिसठाणपमाण यह द्वार गाथा णपरिग्राजक किरिषषिक तिरश्रीन आजीविक पाच औदारिकादि शरीर कहे
५९१ आभियोगिक सलिगी दर्शनय्यापक्षक यह देव एकेद्रियादि ५ नदम थोदारिक पाच नेदे है ५९२ लाक मे उपजे तो कहा कौन किस देवलोक | पृथिवीकायादि ५ नेदस कें द्रय शोदारक श