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________________ पत्राक पत्राक चिपय और प्रश्नादि विषय और प्रज्ञादि एष २।३।४।५।६।७।८ प्रदेशी स्कन्धो जीव गति चरम से क्या चरम के चरम एव। की धक्तव्यता यावत् सख्यात शसख्यात थनन्त निरन्सर धैमानिक ३५६ प्रर्दशी खध तक कहा ३५० | नारकी गति परम से क्या चरमा के शयरमा एवं परमाणुम्मियत इत्यादि गाथा ६ ३५१ वैमानिक पर्यन्त ३५६ परिमल शादि पाच सस्थानो की वक्तव्यता , नारकी स्थितिचरम से कदाचित् चरम कदाचित् परिमल संस्थान क्या सख्यात सख्यास अन चरम एव यायत् धैमानिक ३५७ न्ति, एवं यावत् शायत कहना, पस्मिाल सं नारकी नयचरम से कदाचित् घरम कदाचित हाण प्रपा सख्यातप्रदेशी शसख्यातप्रदेशी छनन्त अचरम, एव वैमानिक पर्यन्त , नास्की नापो देशी एव याघ्रदायत, परिमाल संठाण क्या | चरम से चरम थचरम जी एवं धमानिक पर्यन्त.. सस्पतिमवशावगाव असख्याप्त प्रदेशाधगार एवं एप एफेंद्रिय कोबो के मानिक पूर्वत कहता ग्रत पन्त, परिमल० शूसस्पात प्रदेशमा नारकीयातमीण चरम से परम के थचरम, एवं - याष द्वैमानिक ३५८ rame शायत प्रयन्त ३५२ । एष याहार घरम, नाप परम से कदाचित् चर । सवाल एपी
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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