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________________ - - प्रनाक विषय और प्रश्नादि प्रिय और मानादि पत्रक नारको को १० सज्ञा होती है ३२५ ग्रह सज्ञोपयुक्त है | ३२७ ॥ असुरकुमार को १० सझा होती है एव स्त- | माहारादि१० सज्ञोपयुक्त देयारुपयहुत्व वक्तव्यता ३२८ नितकुमार तक पृषिवीकाय आदि वैमानिक (माठयां पद समाप्त हुआ) पर्यन्त कहा ३२५ नारफी क्या आहार संज्ञोपयुक्त के मयसझोपयुक्त ___n नयां पढ़ कहते हैं। ____ इत्यादि प्रश्न, ३२६ कितने प्रकार योनि कही , तीन प्रकार योनि कठो ३२८ भाहारसज्ञोपयुक्त यावत्परिग्रहसझोपयुक्त नारकी नारकी के क्या सीतयोनि उघनपोनि शीतोनयोनि ३२८ का अल्प बहुत्त्व ३२६ | असुरकुमार के कोन योनि कही एव स्तनिततिर्यंच क्या आहार यावत्परिग्रह सज्ञोपयुक्त कुमार तक ३२८ तिर्यंच आधार मादि सज्ञोपयुक्त का अल्पादि ३२६ | पथिवीकाय के कौन योनि , एव अप घायु वन मनुष्य या आहार स० | स्पति द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय को योनि आहारादि पक्षोपयुक्त मनुष्याल्पयदुत्व ३२७ कहना ३२९ देयता क्या माहार सज्ञोपयुक्त है के यायत्परि | तेजस्काय के प्रति योनि.नही ३२६ ३२७
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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