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________________ पत्राक विषय और प्रश्नादि विपय और प्रशनादि पन्नाक सुरकुमार नन्तर निकल के कहा जाय कहा पृथिवीकाय कितना थायु शेषरहे पर 17 आयु उपजे ३१२ बाधै एव यावत् चोरिद्री ३१५ पपिपीकाय धनन्तर निकल के कहा जाय कहा पचेद्रिय तिर्यच कितना थायु शेप रहने से पर उपजे ३१३ जय का शायु याघे ३१५ एव थप "तेज वायु, 'मनुष्य धर्ज,, पनस्पति ग्य मनुष्य यानय्यन्तर जोतिपी वैमानिक जैसे यरिद्री तेरिद्री चौरिद्री जाणना ३१३ नारकी कहा तैसे कहना ३१७ पचेद्रिय तिर्यच योनिक धनन्तर निकल कहा कितने प्रकार थायुमन्ध कहा, ब प्रकार कहा | ३१७ जाय कहा उपजै ३१३ | नारकी के ब प्रकार थाय अन्ध कहा एघ २४| एष जैसे जिनका उपपात कहा तैसे उद्वर्तनानी दफक मे कहना ३१७ कहनी ३१३ | जीव जातिनाम निष्ठप्तायु को कितने याकर्प से फरै ३१७ ___(६ द्वार पूर्ण कथा) नारकी जातिनाम निहप्तायु को कितने शाकर्प से नारकी कितना थायु शेष रहै तय पर नव का करे एव २४ दमक में ३१८ थायु बाधै एव २१ दक' ३१५ | एघ गति स्थिति ययगाहन प्रदेश ननाव नाम
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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