________________
3111
या पुढयिकाया खाउकाइयाण ते काश्याण वाउकाइयाण वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाण ष्यका याण कयरे कयरेह्नितो छप्पाघा४ ? गोयमा ! सत्योवा तसकाइया तेउकाइया सखेागुणा, पुढषि काइया विसेसाहिया, छाउकाइया बिसेसाहिया, घाउकाइया विसे साहिया पकाइया खणतगुणा, वणस्सइकाइया अपसगुणा, सकाइया विसेसाहियाषा । एएसिण जते ! सकाइयाण पुढयिकाइयाण पाउकाइयाण ते काइयाण धाउकाइयाण वणस्सइकाइयाण तसकाइयाणय ष्पष्ठगाण कयरे कय रेहितो ष्यप्पावा ? गोयमा ! सङ्घत्योवा तसफाइया छपज्जतगा, तेउकाइया पत्ता सखे गुणा पुढषिकाया पातगा घिसेसाहिया, छाउकाइया ष्पात्तगा विसेसाहिया, घाउकाइया पाठगा विससाहिया, वणस्स इकाइया पतप्तगा खणतगुणा । सफाइया छपतगा विसेसाहिया
"
पर्याप्तता विशेपाचिका । द्वारम् । इ । एतपा प्रदन्त । समापिकामा पृथिवीवापिताना धन्यायिकानां तेवस्थापिकामां वायुकायिकाना वन स्पतिकायिकामा जसकायिकानामताधिकाना कतरे कवरेज्यो अपा था ? गौतम । सर्वलोकात सकायिका स्तेवस्थापिका गुणाः पचि वोबादिका विशेपाधिका चस्कायिका विज्ञपाधिका वायुवापिवा विशपाधिका प्रकापिका धनमुखा वनस्पतिकायिका धनलगुहाः समापिका विपाचिका । एतेषा प्रदत | सहायिकाना पृथिवीकायिकानां चकाधिकानां तेजस्कायिकामा वायुवापिकानां वनस्पतियायिकानां इसकायि कानामपर्याप्तवान कतर कतरेभ्योऽसपा वा ४ नौतम । सस्तोका कायिका अपर्याप्तका स्तेयस्कार्यिका अप० असम्ययगुवा पृथिवीवापिता o विपाचिका प्रकायिका ० विशेषाधिका वायुकायिका चप० विश्वपाथिका वनस्पतिकायिका चप० अनन्ताः क्षायिका अपर्याप्तका विशेषाधिका । एतेषा प्रदन्त । तथाविवाना पृथिवीकायिकामा छापिद्यामा वेषस्कायिकामा वायुकायिकामा बनस्पतिकायिकामा जसकामि