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________________ सामाणियसाहस्सीण चउराह यसठीण शायरस्कदेवसाहस्सीण थन्लेसि च यज्ञम जाप विहरइ । कहिण नते । उतगदेवाण पञप्तापजसाण ठाणा पसप्ता, कहिण नते ! लतगदेवा परियसति ? गोयमा ! घनलोगस्स कप्पस्स उप्पि सपरिकय सपझिदिसि वनइ जोयणसयाइ जाय यहुई जोयणकोकाकोठी उk दूर उप्पडप्ता एस्यण लतए नाम कप्पे पमत्ते, पाईणपकीणायसे अहा घनलोए नधर पन्नासाविमाणा धाससहस्सा इघसीतिमस्काय , वफसगा जहा ईसाणवफसगा नवरं मके इस्य सतगयफसए देवा तहेष जाय षिहरति , उतए इत्य देषिदे देवराया परिवसद्ध जहा सणफुमारे नयर पनासाए बिमाणावाससह स्साण पन्लासाए सामाणियसाहस्सीण चउण्ह पक्षासाण शायरक्रदयसाहस्सीण थोसिंध पक्षण जाय यिहरइ । कहिण नते ! महासकाण देवाणं पञ्जतापजाप्ताण ठाणा पणधा । कहिण जवे ! महामुक्करदे पामावापानानां सप्ततिः सामानिमालाई तुरी (चतुर्दशाना) बयानबदेवता परिप्रणिपासवान चम्पपामार्ग पावद्विारविपदालान्तरेषाना पसोप्तापपोताना पालमा तम । प्रससोवा पसोपरिपक्षप्रतिदिए बानि परमत्पपासातजामावरच मत प्राचीमप्रतीचीमापत बचा बाधाहमानाबालपनमामिवानिमपामहिम्मतवा'पचारधामाबतचा भबरं मयेसाबाबतची रेवा साप पाटिकाविहारराव परिसतिया नमार बरं पन्चामानाबापताना पचासत्ताबानिवपाषा नानी) पन्चाधरात्मरपपरा (सवालरोगापाको) बन्दी बना पारितिपाल । | बिनोसामाणिप्रसापिसाबममा रेवा। परिवाधिौवन बालकोपरिपपतिरिवाल
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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