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________________ 1 सम्पता एयण ईसा नाम कप्पे पखते पाईप पीणामए उदीदा हिणविच्छिन्ने एवं जहा सोहम्मे जाव परुि सत्यणं ईसाणगदेषाण ठावीस त्रिमाणाश्रास सय सहस्सा हवतीति मस्कायं तेण विभाणा स रयणामया आय पमित्रा तेसिण ममक्कदेवनाए पच वसिगा परमष्ठा, ष्यकषसिए फलिहसिए रमणयसिए आध समय मिसए मक्के इत्य इसाणवमिसए, तण वहिंसया सहरयणामया जाव पछिरुवा एत्य ईसापाण देवाण पयप्तापकप्ताण ठाणा पाता । विसुत्रि लोगस्स व सखेाइनागे से जहा सो हम्म देवाण आव विहरति, ईसान हस्य देषिद देवराया परिषसति सूलपाणी उसनषाहने उतरलो गाविष्ठासत्रिमाणावास स प सहसाहिबई घरवरपत्यघरे सेस जहा सक्करख जाय पजासमाणे तस्य षष्ठीसार विमाणायाससम सहस्सा ष्यसीतीए सामाणियसाहस्सीम तावतीसाए तायवी सगाण यह लोगपाडा धठरह धम्ममहिषीण सपरिवाराण विरह परिसाण सह घणियाण सष्ठग्रहं यणि परमतिरूप विपाकात तानि विमानानि समाति प्रम पामध्ये विधिवत हवामानावास दशमागे पश्चातकाः मद्या-भ्र सर्वरणमा पारमतिपात्रमाला देवामा पर्याप्तापर्या किती मनान हो यथा सोचमकदेवानां बाहिरन्ति । दन्द्रो देवराजः परियत्ति धूल वाहन रासोबापत रहावितिविधानावासह विपत्तिः परम्परा तथा पियवा विभागाबाबत माि लाम मायोचीनायत सुतर विवि مه सा
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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