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________________ एस्यन्तिया देषाण ठाणा प०, उपवाएको० समुग्वाल्लो० सठाणे लो० तत्यण घणयत्रिया देया परिवसति महिष्ठिया जहा पिसाया जाय विहरति सन्निहियसामाणा नृत्य दुवे छणवस्त्रिदा षणवन्ति कुमाररायाणो परिवसति महिडिया अद्दा कालमहाकाला एव जहा कालमहाकालाण दोरहपि दाहिणि लाण उतरिल्लाणय जणिया तहा सनिष्ठियसामाणापि जाणिया सगहणि गाडा-ष्णवन्नियपणवत्रिय इसियायत्तूययाइएषेr । कदियमहाकदिय कुहयपयगढ़वाय हमे इदा - सनिहियासामाणा धाहविधाय इसी सिषाले ईस्सरमस्सरेषिय त्यत्रिसालेय ॥१॥ हा से हासरईषिय सेएयनयेत हामहासेए पयगेप पषिय नेयाश्वाणुपु ] ए ॥ २ ॥ कहिण जने । जाइ सियाण देयाण पात्ताण२ ठाणा प० १ कङ्क्षिण नते ! ओष्ठसिया देवा परिवसति ? गो० ! इमी से रयणप्पनाए पुढबीए यऊसमरमणिया भूमिनागाउँ सणउ इ कोयणसए उहु उप्पवत्ता दप्तरं जोयणस्य बाहल्ले तिरियमसखिये जोइसविसए एत्यण जोइसियां रन्ति तस्मिहितसमानौ चाश्च द्वावखपखिनावच पचिराजानी परिवतो महको यथाकामा पासमानसपोचे व गङ्गवात्पयो रौतारकाणाच्या (पता) महिता तथा समितिसामानिकपोरपि पपपपत्रिका विवादों में वादी महावन्दी मोहरीचे विद्यालयहोरा सूरकिवल खेत काढावापान थे पालमपाल वरमहल प्रति महारापत तदपि भ्रातल्या चानुपूर्वा ॥ २ ॥ ] भदन्त । ज्योति ज्योतिका देवा परिवसति ? गौतम । अस्पा रखमप्रायाः पृथिवा बहुसमर भूमिधानात्वमवतियोजनमुत्पल दवोत्तर योजनमत बाइवं विशेष कयं ज्योतिष ज्योतिकाला देवानां विन *
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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