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________________ चेष काल करेइ । सेन्त छासालिया । से किस महोरगा २ १ ष्णेगविहा पखत्ता, तंजठा छत्येगइया गुल पिगुपुष्यिा षि वियच्छिषि वियच्छिहतं पि रयण पि रयणी हतिया पि कुच्छपि कुच्छ पुत्तिया विणु पिघणुपुहलिया वि गाउयं पि गाउयपुहप्तिया वि जोयणं पि जोयणपुडलिया वि जोयणस्यपि आयणस्यपुहुतिया वि ओयणसहस्स पि तण घले आता जले विचरति घठे विचरति ते णत्थि हुइ बाहिरएस दी समुद्देसु हषति जेपाघने तहप्पगारा सत्त महोरगा । तं समासच दुबिहा प०, त० - सम्मुच्छिमाय गम्मतिया य । तत्यण जेते समुच्छिमा ते स णपुसगा, तव्यण जेते गन्नषछविया वेण तिथिका प०, स० - इयी पुरिसा नपुसगा, एएसिण एवमाहयाण वाता २ ण उरपरिसप्पार्ण दसजा इकुखकोकी श्रीणिप्पमुष्वसयसहस्सा हाती ति मस्काय । सेप्त उरपरिसप्पा । से कितं यपरिसप्पा २ ग खमपि पृपमपि विवचिमपि वितकिमयत नपि परविमर विषमता द्या- सत्येन कुचितं मनुरपि चनु पथकं बब्बूतिमपि व्यूति योजनमपि पोजनपथ बोबन योज खाता बच्चे विचरति तत बाल प्रति मे बाप्यन्ये तथामकारा । समयको हिसाव 'मा- समाज का नि पुरुष मि Co gaminiai tatmqatamnounceli armasiest विषादि प्रयन्तीति भयात्पातंराव बेहा करता था। परंठा। चाराः चराः परोवलाः | वचामा में बना हिचि विपी परि । तद्यथा पुराना पहला इजा धीरविरामिला। चाहा। भयादिवा में वा
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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