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________________ एगागारा प०, सेझ सुसुमारा । जेयाधन्ने तहप्यगारा ते समासच दुबिहा पखता, तजहा- संमुच्छिमा य नक्कतियाय तत्यण ज ते सम्मुच्छिमा ते सङ्घे नपुसका, सत्यण अ से गलतिया ते तिषिहा प०, तजहा इत्यी पुरिसा नपुसगा । एतसिण एवमाझ्याण अलयरपचिदियति रिस्क ओणियाण पस्चतापात्ताण सरसजाष्ठकुलको फिजाणी प्यमुहमय सहस्सा जघतीति मस्काय । संत्त जलयरपचिदिय० । से किंत पछ यरपश्चिदियति रिस्क आणिया २ ? दुबिहा पक्षप्ता, तजष्ठा चउप्पयश्यल परपचिदियतिरिस्कजोणिया परि सप्पधलयरपचिदियति रिस्कजोगिया य । संकित चउप्पलयर पश्चिदियतिरिकजोणिया २ १ घा पता, सजड़ा एगखुरा दुखुरा गठीपया समप्फया । सेकित एगखुरा २१ खणेगविष्ठा पणष्ठा, सं० ष्षस्सा वस्सतरा घाऊगा गहना गोरस्करा कदलगा सिरिकदलगा यावत्ता । जेयावलं तप्यगारा । सेत रहासकरा बत्ममवराय । तपते मकराः । अथ बतिबिधा सिंधुधारा १ सिंधुमारा पकाकारा प्रतापते शिंशुमारा । में ब धाप्रकारास्ते सुमासो द्विविचाः प्रचता । समानत्वादिका । पत्र पर हसूमा मात्र जे व्युत्वान्विवायें त्रिविचाः प्रचताः । क्रिय पुरुषाः नपुंसक । पवावृधानामेवमादीनपपात पार मोदच्चत्रातिनुसधोतिपीनिप्रमुख शतसहखापि भवन्तीति चाय विरमन्द्रियतिका विविध 1 पुणे विविशिषा: ि प्रेम 1 नद्या वस पर [पवियोनिसुविधा: म बुरा । दविचाःबचतरा
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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