SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ P t 3 ६ @ a ठिबास गालिया । सखिमसखेा योधात जीवाय ॥ ३ ॥ जेकेउना लिया श्रद्धा पुष्फासखेतजी बिस । णिऊराष्ट्रणतजीना जया गनहाविडा ॥ ८ ॥ पउन सक्रिय कल्ली य । एते पणतजीबा एगाजीयोजिम ॥ ५ ॥ पल्ल्हड की एपरिप्तजीया जेनात्रनेत हारिहा ॥ ६ ॥ पउमुप्पललगण सजग गरा। रवि कुण सतत महस्वपलाण ॥ ७ ॥ घिटनाष्हिरपत्ता यकसिया तिराना पत्रकार मजा ॥ ८ ॥ व गुनल स्कुबानिय समामड स्कूटक्कर | करन्तु जिगु नागपगाणच ॥ ९ ॥ मन्यन्महो तिजीवस्म । पत्तयपत्ताई परफ मज ॥ १० ॥ एक फलकालिंग तुयतउलुक | घोसाल्य पाल तियचति ॥ ११ ॥ ननकीवरून । पत्तपत्राइ सकसरमक्सर मिजा १२ ॥ सप्फा"सज्काए उछेहाला मुटु दुहाउनयणानं ॥ १३ ॥ जोगिन यी जीवा येचाप्यन्ये तथाप्रकारा स् ॥ ६ ॥ पालना नगन्धिकम् । वन्दोनदामा पत्राचाम ॥9॥ करने ॥ ॥ वरमिनामतु कर्मग्यमा । करकर पिटा कविया चकशीशान ।। श्राह्मपत्रात १२ ॥ पुष्पफलकम् स्म ।। ११ ।। पपलाच पापातकपटाल ति मित्रा ॥ १२ ॥ सप्फाग्रसक्का जीवस्य प्रत्यष्ठपण सदसर फसर नकु छ । यवनीया करता च ॥ १३ ॥ वाथपानभूत कामात चान्या वा । पापचमूसजीव सापिश्रिया ९४ ससा सतु मानना । सववद्दमाम प्रत्येक सजीवा डाला स्वानपथगामिस्य 500000000030300303.c
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy