SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णधाए उदीणयाए उहुधाए शहोयाए तिरियपाए विदिसीशए वाउज्जामेया उक्लठिया वायमालिया उ क्वालियायाए मालियावाए गुजावाए ऊफाषाए सयदृयाए घणवाए तणुयाए सध्याए, जेयावन्ने तहप्पगा रा ते समास ढविहा परमता, तजहा पजत्तगाय शपज्जप्तगाय , तत्यण जते शपआप्तगा तण यसप प्ता, तस्यण जेत पजप्तगा एएसिण घसादसेण गधादेसण रसादसेण फासादेसेण सहस्सग्गसोधिहाणाइ सखिजाइ जाणिप्पमुहसयसहस्साइ पजाप्तगणिस्साए शपऊत्तगा धक्कमति, अत्य एगो तस्य नियमा शस स्केजा सेत्त यादरवाउकाइया॥ सेप्त वाउकाइया॥ से कित यापस्सहकाया वपस्सइकाइया दुविहा प०, सजहा सक्रमयणस्सडकाइयाय यादरवणस्सहकाइयाय , से कित सुजमवणस्सहकाइया२ दुषिहा पमप्ता, १० पञ्चत्तमजमयणस्सइकाइयाय थपज्जतसहुमवणस्सइकाइयाय । सेत्त सुनामयणस्सइकाइया । स कितं TeacomoROGRecocope वायु पोवाया सियनवायु विशिवायु, वातोनामः, वातोपहिया, बासमती' उत्पशिबावातो, मच्छसिखावातो गुल्जावा तो सम्पाबातो संगठिबातोपनवासानुबातः मुखवात पे वाये ज्या महारासो सवै हिदिपा मावापा-पर्याप्तवा' अपोतका Bाताय पते पपपोतवाले प्राप्ताः । प पते पर्याप्तबासो दिशेन गापादेन रसायन पापोवन पालापथो विनाशाकि संसार तानि । पोनिप्रमुखानि गतसातादि पर्याप्तबनिःबया अपयोमा नामतिपय सानिपमा पर पारिति रिवायत पियों तरते वायुवापिया पर पतिविधा सम्पतिवामपनरपतिपिपराधिया नमवनस्पतियायिका बापरबान स्वविवामिण पतिविमिवानापत्तिापि नातिवायिका बिना प्राप्ताः । तपा--पर्याप्सनूरमबनस्पतियायिका मोहनविनस्पवित्राविका व मदमस्पतिवापिसाप विविधा बादरबमपविवादिका बारबमपरिणापिका दिविधा।
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy