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गजणपघाले । शम्नपालनवालय धादरकाएमणिविहाणा ॥२॥ गोमेजण्यरुयए यफालिहेयलोष्ठियस्केय। मरगयमसारगल्ले नयमोयगहदनीलेय ॥ ३ ॥ चटणगरुय हसे पुरल एसोगधिएययोघछ । घदप्पत्नवेरुलिए ज लकसूरकतेय ॥ १॥ जयायो यत हप्पगारा ते समासन दुरिहा पमत्ता , तजहा-पजाप्तगाय शपजप्त गाय, तत्यण जेते शुपआप्तगा तेण सपत्ता सत्यण जतं पाप्तगा एनसि वणादेमण गधादसेण रसादे संण फासादेसेण सहस्सग्गसाविहाणाह सखिजाइ जीगि प्पमुहसयसहस्साइ पञप्तगणिस्साए शपआप्तगाय कमति , जत्य एगो तस्य णियमा शुसखेडा। सेत्त खरयादरपढधिकाइया । संत्तयादग्पुटनिकादया ॥ सप्तप विकाइया ॥ से क्ति शाउमाइया , शाउकाडया दुबिहा पणता, तजहा-सुजमशाउकाहयाय घादर छाउकाडयाय । से क्ति सुज्जमशाउकाइया ? सुजमशाउकाहया दुयिहा पणप्ता , तजहा-पाप्तसुजाल
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उचका स्पष्टिबलारिताहति मरकतमसारगल्ली पुसमाचन्द्रमालो चन्दनगौरवासा पुलकसोपविण्याव्ये चन्द्रमन्नत पों मसान्त सपनामाव:४५ य चाम्ये या प्रकारात समासतस्तथा BHा । तद्यथा-पर्याप्तका पपपातकाय तर पे रस्ते ऽपर्यातकाले आसप्राप्ता । ये पते पर्याप्त का गत दोन गवादोन रमादेशान स्पादन मनापको विधामाति सस्पेपानि । यामिप्रमुसामि शतसर पवाय पर्यानिम्रपा पर्यावा कामात यता मिपमा बसस्पेया ।तपत सरवादरपायावापिका ।त पते यावरणपिकवापि का । पत पापमोवापिका ॥ अपातविपा। पापिका ।। प्तापिमा दिविधा यता तपा-समाप्चापिका पादराफापिक्षा। पपातपिपा सूत्मा पायबा ।मत्मामायिक्षा पद्वविधा प्रचना चा-पर्याप्त समापवापिका चपर्याप्तमत्मापकापियाः । एत सूमापवापिसाप बातावपा बादराप्तायिकाः।। पादरापापा अमेविषा। मचता । तपा-प्रवश्याय , शिम महिला परको
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