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________________ -- रायपसेखी। तएगाते बहवे देवकुमाराव देवकुमारीउव समणस्स भगवउ महा वीरस्स सोत्थि सिरिवत्थ नदियावत्त वडमाण भद्दासण कलस मत्य दप्पण मगल भत्तिचित्त णाम दिव्व णट्टदिव्व उवदसेति १ ततो णते वहबे देवकुमाराव देवकुमारीयातीय समामेव समोसरण करैति समो सरण करेत्ता तचेव भाणियव्व जावदिव्वे देवरमणे पव्वत्ते आविहोत्या ततेणते वहवेदेवकुमाराय देवकुमारीयातीय समणस्स भगवउ महा वीरस्स आवम पच्चावड सेढिपसेढिय सोच्छिय सोवत्थिय पूसमाणग ॥ ॥ (तएणते देवकुमाराय) इत्यादि । तत स्ते बहवी देवकुमारा देवकुमारिकाश्च श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य पुरतो गीतमादिथमयाना म्वस्तिकश्रीवत्सनन्द्यावर्तवमानक भद्रासनकलशमत्स्यदर्पणरूपाणा मष्टाना मगलकाना भक्तमा विछित्त्या चिबमालेखनमाकाराभिवानयो बस्मिन स स्वस्तिकश्रीवत्सनन्द्यावत वह मानकभद्रासनकलयमत्स्यदप्पंणमगलभक्तिचिव। एव सर्ववापि व्युत्पत्तिमात्र यथायोग परिभावनीयम्। सम्यग्भावनानुकतुं न शक्यते यतीमीषा नाटरविधीना सम्यक् स्वरूपप्रतिपादन पूर्वान्तगते नाटरविधिमाभृते तच्चेदानी व्यवछिन्नमिति प्रथम दिव्य नाटरविधिमुपदर्शयति ।। ततो द्वितीय नाटरविधिमुपदर्शयितु कामो भूयोपि प्रागुतप्रकारेण समकसमवसरणादिक कुवन्ति तथा चाह। (तएणते वहवे देवकुमारा देवकुमारीउयसमकमेव समीसरण करन्ति) इत्यादि। प्रागुक्त तदेव तावक्तव्य यावत् (दिब्वे देवरमणी पव्वत्त आविहोत्था) इति (तएण)मित्यादि तत स्ते बहवी देवकुमारा देवकुमारिकाश्च श्रमणस्य भगवती महावीरस्य पुरती गीतमादीना श्रमणाना आवर्त प्रत्यावन' सिवा मननदसिद्ध करनुएह पादिक मनोहर गीत मनोहर वाजिबहुत उहउ महर्दिकदेवन नऊपजाववधू आदवपरनैक्षीयाकुलव्याकुल हुतउहूउ भगवतनाविसेपदर्शनयकीऊपनुप्रमोद प्रधान देवनुरम प्रवत्त उ हु उ तिद्वारपछि तेह घणा देव देवकुमार देवकुमरी श्रमण भगवत महावीर आगलि साधीयानरुपदर श्रीवकर नदीवत्त ३ सिरावसपुट४ भद्रासण५ कलसद मत्सयूम्य दप्पणयारीमउ एहआठमगलीक भितिविचिव एग दूणाम प्रधान नाटिकविद्धिनद्र प्रयमनाटकदेपाउद तिद्वारपछद्र तेह घणा देवकुमार देवकुमारी समकालदू समोसरण करड एकठामिलि ममीमरणकरीना तिमजपूबलीपरिद वाजित गीतकहवा जेहालग प्रधान देवरमण देवन कोडवउ प्रवर्ततउ होउ तिद्वारपळीतह धमा देवकुमार देवकुमारी श्रमण भगवत महावीर भागलि दक्षिणावर्त रूप आवर्त प्रत्यावर्त उत्तरावर्त थेगितेसमी प्रणितेउपराठी एणरुपमाथीया सीवस्तिशलजणवशेष धममाणवलक्षणवशेष मत्मनाइडा मगरनाइडा ममिना
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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