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रायपमैसी। तोयं समगच्छति तएणसे मूरियामेदेव पवाणिया परिखित्तण वय गमयलट्ठसहिएण जाव जोवण सहस्समूसिएण महयतिमहानएण महिदहएगा पुरउ यकट्टिझमाणेगा २ चरहि सामाणिय सहस्सेहि जावसोलसहि आयरक्खदेवसाइस्सीहि अन्नेहिय वहहि सूरियाम विमाण वासीहि वेमाणिएहि देवदि देवीहियसद्धि सपुग्वुिडे सवि ट्टिए जावरवेण सोधम्मस्सकप्पस्समझमझण तदिव्व देवजुई दिव्य देवाणुभाव उवदसेमाण पडिजागरेमाणे जेणे वसोहम्मकप्पस्स
उत्तरिल्ले निज्जाणमग्गे तेण वउवागच्छदू २ ता जोवणसवसह पृष्टत' समनुगच्छति । (तएण)मित्यादि तत स मूयाभोदेव स्तेन पञ्चानीकारिक्षिप्तन यीन विशेषणविशिष्टेन महेन्द्रध्वजेन पुरत प्रकृप्यमाणेन चतुर्भि' सामानिकसहस्र चतमृभिः सपरिधाराभिरगुमहिपीमि स्तिमृभिः पर्यनि सप्तभि स्नीकाधिपतिभि पीडभि रात्मरक्षदेवमहमेरन्यैश्च बहुभि सूयाभविमानवासिभि वैमानिक देव देवीभिश्च साई सपरिवृतः । सव्वासनयत्या पावत्करणात् “मव्वबलैणसव्वसमुदएण सव्वादरेण सव्वविभूमाए सव्वविभूदप सब सम्भमंग सब्बपुष्यवत्यगन्ध मल्लालकारण मन्वदिव्वतुडिय सदृसन्निनापण महनाइट्टीए महताजुए महयावलेश महयासमुदयेण महयावरतुडियनम गसमपदप्पवाद्रयरवेण मनपशवपडहभरिझल्लरिनर मुहिडुडुक्क मुखमुद्धा दुन्दुभिनिघोसनाइ यत्रण” मिति परिगृध ते सौधर्मस्य कल्पस्य मध्येन तान्दिव्यान्देवहिन्दिव्या देवद्युतिन्देवानुभूति उपदशयन्, “उवला लमायो उवलालेमाणे” इति उपलालयन् लीनवा उपभु जान इति भाव' । येनैव सीधम्मग्य करवस्य उत्तरानियाणमार्गी निगमनमाग स्तेनैवपार्वती पागच्छति, “ताएउ किदाएउ" मयाभदेवनइ आगलियकी बिहु पासथकी पवियकी जाइछद तिद्वारपछि सुयाम देव पाचकटक नइधणी वाद्यकुवनगलमयमनीजआकारहनु तहनधावत्सदासर्वमानिध्वजवर्णत इतेहट सहमवीजनप्रमाण उचउ घणुन मोट मझेद ध्वनि आगलियकी निकर रदवड अफडीघद चिहु सामानिकसहसदेव यावत्सन्दिअनुमहिषीचारपरिपदासातकटकनाधपीसील सहस यात्मरनकदेवतानामहम अनेर धपाद सूयाम विमान वासी वैमानिक देवा देवी सायद परिपराथकउ सपनीकाद्विसवलिंद वाशिववागत सोधर्म देवलोकमाहिन्यनि तेह प्रधानदेव तहदेवनिकाति प्रधान देवतु सामथपणुदैपाडतुथक सङ्गतिमभावतीधकई अहा सीधमादेवलोकन ऊतरतउ ऊतरवानु मार्ग तिहा जाइ जाइन योजनलापप्रमाणह ऊपक्रम उदकरी ईठउ अतरडछा घपदपथनड अतिक्रमवद् तेणड देवसबंधीइयत्कृष्टीगत जावत्
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