________________
रायपमेयी।
आवरसैमाए वामेव तेविमूरियाभस्स आभिणियोगिवादेवा अन्भ बदलए विउव्वित्ता खिप्पामेवपवणुतमावन्ति खिप्पामेव २ ता . खिप्पामेव पविभुआयन्तित्ता समणस्स भगवउ महावीरस्व सब्बउ सम्मन्ता जोयण परिमडल णव्वोय परिरलफुसिय वरेणविणासण, दिवं सुरभिगन्चोदयवास वासन्ति वासित्तानिहयरव नट्ठरव भट्टरय उवसन्तरव' पसतरय करत्ति २ त्ता खापामेवउसामन्ति २ चा तच्च पिवउविय समुग्धाएसम्मोहपणति २ ता पुप्फवद्दलए विउध्वन्ति सेनहानाम एगेमालागारे दारए सिया तफण जाव सिप्पा वगए एग मह पुप्फ छभिय वा पुप्फ चगेरिय वा पुप्फवभियवा गहासय गणवा जाव सव्वउ सम्मता कयग्गाहर्गाहय करयल
भूतभाजन दककलश वा उदकभृत भूष्णार, (आवरिसिमा) इति आसमन्तात् (सिवेत खिप्पामेव पत्तप्यतणायन्ति), अनुकरणवचनमेतत् प्रकर्षण स्तनित कुर्वन्तीत्यर्थ । (पविज्झयाय)न्ति प्रकर्पण विद्य त विदधति, (पुष्पवद्दलएविउन्वन्ती) पुष्पवृष्टियोग्यानि वादलकानि पुप्पव'कान् मेघान् विकुर्वन्तीति भावः। (एग मह पुष्पछझिय वा) एका महती छाद्यते उपरिस्थग्यते इति छाद्या छाद्य व शधिकापुष्पे ता झाधिका पुष्पछाधिका, ता वा पटनकानि प्रतीतानि, (कयग्गाहग
प्रत यावत्सदद भागणठ तेउरपाणीपन अतिऊतावलउनही जावत्सब्द खलनअपामतु संपलि दिसिवदिसि बाट एणदृष्टात तेणीपरि मूर्यभना सेवक देवता पाणीनउवादलउ विकुर्वी नद तत्कालिज वैशेषकरीगाजद तत्कालिगाजीनद तत्कालिज वीजलीकरीन श्रमण भगवत महावीरन' सघलउ चउपपेर योजन प्रमाणमाडलालगइधणउ उदकडूनही विशेष पणजिमरजझसइतिमभूमिसाघदपाणीफटस्यउ एपदकारणरजरेणून विलामणहार प्रधान सुरभि गधीदकपाणीनावृष्टि वासद् बरसीन रजहणापीछदजेहनविपद मडलघकीरजनावी रजडुरि गई रजउडतीरही वर्मेनपणदूरजउपसमीछडूनही एवव कर करीन तत्कालिन निवइ निवर्तीनद बीजीवेना बैक्रिय समुद्रघात करी क्रियसमुयातकरइकरीनड फूलन
बादलउ विकुर्व इ तेह जिम कोएकमालानउ बेटउ हुए युवान यावशब्द युगव इत्यादिपाठक - इवऊ विज्ञााद करीसहित एक मोटउ फूलवउ पडलपति अथवा फूलनीचगेरी फूलप्रतिगृही महाराजानागणद जावत्सन्दराज प तेउरादिकसघलइ दिसिबदिसि स्वीनामाथासथ गहि नार्कसपामुमपितेणड गहिउ सपासपछडकरलथवी पाटबउचउपर वीपराउतेहीपरिमाण