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________________ १७२ रायपसेगी। एण अद्धाढएण पत्थएण चउभाइद्या सोलसियाए छत्तीसिवाए चउसहियाए तएण सेपुरिसे त पदीव दीवाव पतेण ततेण सेपटीवे दीवाच पग अतोउ भासति ४ नोचवण दीवाच पगस्स वाहिनो च वगा चउसट्ठिय नोवण चउसद्विवाण वाहि नोच वण कूडा गारसाल नोचवण कूडागारसालाए वाहि एवामेव पएसी जीवि ज जारिसिव पुन्वतम्मनिबद्ध वोटिनिव्वत्तेद त असज्मोहि जाव पदेसेहि सचित्ताकरोड खूडिय वामहालय वा त सहहाहिण तुम पदेसी जहा अन्नोजीवो तब १० तएण पएसीराया केसि कुमार समण एव वयासी एव खलू भते अज्झगस्सण सासणा जाव समो सरणे जहा तज्जीवो त सरीर नोअन्नोजीर तयाणतरचणा ममपि उणोपि पसासणा जाव त सरीर तयाणातरचण मम विएसासणा जाव समोसरण त नोखलू अह बहू मुरिसपरपरागय कुलनिस्सय मिध्यादशन शल्पम्। अट्ठाइ इत्यादि। अयोगपउगसम्पउत्ताइ इति अयोगस्यार्थ लाभस्य प्रयोगा' उपाया' सम्प्रयुताध्यापरितार्यस्तानि। बायोग प्रयोग सम्प्रयुतानि विकट्टियपरमतनहीसही डालान बाहरि नही झूडागासालामाहि नही कूडाकारसालान वाहरि अजु पाल करि धमक्षगायनघाणतुमडजुर्तणकरीटाकीदू गढमाणिकादेसवदेसप्रसिद्धतीणिकरीटाकीर प्रसिद्धतीणिकरीढाकी पेढी करी भई घाटडकरी पाथकरी ण्इ सर्वमगधदैसममिवध्यान मानवसेसजाणवा हमच्चचउधीउतेणडकरी सोलसहाइ करी छवीसहाइ करो चउडिहाइडकरी ढाकार तिधारपछी तेह पुरुपतेदीवाप्रति दीवानढाकणकरीढाकी तउ तहहीठु दीवानाटा कयामद माहिमाहि प्रकासदतपद पणिनही दीवानाकणानइ बाहरिप्रकासनही चुसहीउ मान तेहनद नही चुसष्टियानह बाहरि नही कूडागारसालान नहि सही कूडागारसालीनद दाहरि प्रकासह एणप्टात हेप्रदेसी जीवपणि जह जेहवउ पूर्वकर्मवाधर सरीरनीपनावश्छ तहमरीरमति यसप्यात जीवप्रदेसरकरी सचेतनपूकरिछा नाल्हउ अथवा मोटोहोतीतगड कारग्रिमनिमानि तु हेप्रदेसी बहसरीरथी जीव प्रारणहसमुप्रश्न १० गुरुपदेसीड इमका हा पराजाशे मी कुमार थकयप्रति एम बील्यु इराधप्रकारी निश्चद् हेपूज्य माहरउपितानुपिता आजुर्तगतो मनाति एइजाति एहजसमौसरण जनमोलाएकजेहसरीरतेडीज नीव पने जीवतिहासीरपगितहीसरीरघकी अनेक जीव तिद्वारपछी माइरापितानीपणि एहसमा पूर्व
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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