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________________ रायपमेगी। २५१ गधए अभिसमागत मेण इत्धेमा माणुसलोग चैवया संचाइमा विदि चउहि ठाणेहि पएसी अह गोववगणए देवे देवलोएमु इत्येमा माणुस लोग इव्वमागच्छित्तए नोचेवगा सचाएद हब्बमा गच्छित्ततेतं सदहिण तुम्ह पएसीजहा अन्नोजीवो अन्नं मरीर नोत जीवो तमरीर २ ताणसे पदेसी राया केसी कुमार समगा एवं वयासी अत्यिण भते एसापन्नत्तो उवमाइमेण पुणकारगोण नो उवागच्छद्र ण्व खन्नू भते मह अन्नया कयाइ वाहिरियाए उवट्ठा णसालाए बहुहिगणनायगटडगायगई सरतलवर माडविकोड बिया इममेठिसेणावद सधवाह मतिमहामति गणगटोवारिय यम बवेड पीढमहल नगर निगम डूयसधि बालेहि सहि सपरिवूडे विहरामि ततों मम नगरगुत्तिया सम्मक्खउ सहोळ सगेवैज्ज अव उडग बधण बद्ध चोर उवोति तएण भइ तं पुरिम जीवं तचेव अउक्तभीए परिखवावेमि अउमएणा पिहागीयां पिहामि भएणय तउएणयकयावेमि अयपवत्तिएहि पुरिसेहि रक्खावेमि तण्णा भई तलवरमायडविक कौटुम्धिन्य मष्टिसेनापति साधवा मन्त्रिगणकदीवारिका प्रागुलाम्वरूप पामात्या राज्याधिष्ठायिका ज्येष्टा। पादमूलिका पीठमर्दा। प्रागुत नगर नगरवासि प्रकृतय निगमा कारिका। दूना अन्येपा गत्वा राजा देशनिवेदका सन्धिपाल राज्यसधि नगरमाहिमोटातेहयष्टि कटकनायक साथचलावद एकबुद्धिनाधणी करपात्यकामहाबुधिनाधणी पोलीभाराज्यनाअधिष्टायक राजानपगड़कीनदछहसद पीढमदनपाछपपरवीटाबसहनगर वामीकाक्कु मादिक कारणिकामद बिदराज्यमधिनारचकलेसधिपाल एतलासाथ परवरग्यु विचरुका तेराइसमहमुझन कोटवालएकचीरप्रतिपाणीस पनाहयातकरवाछद समचापि पागलि चोरीनीवस्तथा तेवस्तगलवाधीछड' पागरणरहितऊघाडुछ बध वाधुकद एहवा चोरप्रति भाणीस पु विद्वारपछी तेहपुरुषप्रति जीवतु थकु लोहमयकुभीडकोठीद घलाव्या लोहमय टांकण इकरी सेकुभाटकावी लोहद जवउदकरी तेकु भीचुपपैरवीडाबी पारमानइप्रती तनई पुष्प तेकु भीचुपपररखाची निद्वारपछी डू कोईकममह जिहा लोहमय कु भी तिहा गयउ तिहा जईनड तेलीहक भीथकी बीडउपडावउ बीडगउपेडावीन्द्र पुरुषप्रतिहपोत इनदेपतउउनधीसही तेहलोहकु भी कोक छिर, विवर राष्ट्र जेहविषयकी तहजीव माधि
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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