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________________ रायपमेयी। २४५ अभए होत्या इव जद्दीपे २ मेयविया नवरीए अवम्मिए जाव समस्स वियण जगावयम्स नोसम्म करभरविति पव्वत्तेतिमेण तुम वत्तववासु बहूपाव कम्म कलि कलूससमजिगित्ता कालमासे काल किच्चा अन्नएमु नरएम नेरइत्ताए उबवणे तस्सण अजगस्स अह नभुतेहोत्या दृ8 क तेपि ण्वगुणे मगामे धज्झो वैसासिते सम्म ए बहूमते अणुमए करडगप्तमाणे जीविवस्स विहिवण दिजयो तुबर पुष्फ पिवदुल्ल भेमवणयाए कि मगपुगा पासणवाए तजगा से अज्झ ते मम आगतु वज्मा एव खनू नव्या अह तव अज्म एहोत्या इहेव मेयवियाए नवरीए अधम्मिए नाव नोसम्म करमर विति पवत्तमि ततेण अहमु वधाव कम्म कलिकनुस ममजिणित्ता अहानुगताऽभिप्रायः । एष हैममवाया अघि दर्शन बलभ्यताया एतन्मरा युप्म दशनमि माद। पर यहच मदेव पाSarमा। एपा तुला यवा तुलाया तोनित सम्यगित्यवधायत तथा अनेनापभ्युपगमेनामीजतन च पहिचायाण मघातिमुर्गति तत सम्य मित्यवायं तेन पमिति तलव तला एकतन्मानमित्यपि भावगीतम्। र मान प्रस्थाटि ममोमरण जैह भरीरयजी यनरत नीव जीवथशी गनेरउमरीर नही सरीग्तेजीव पर्न जीव ते सरीर एमनिश्चय माइरउ यानलमाप वापनु भूतः इहाज नदीपमाहितीप २ सेयविया भगरीनद विपद् अधमा नउ त्यादिक ब्रहरिहर गर्वपाठकहिवउ पीतानापषिदेसनउनथीमधड करतदडनुदेयनू लय तेहनीवृत्ति पाजीविका प्रतिप्रवत्तावतु तेइ तुम्हारइ कहार घणु पापकर्म डहूलु ऊपाजान कालनह' अवसरद कानकरी कोदा नरान विपद नारदीयगड ज्यनउ तेह गद प्राञानउ ह मतउतउ तहदादानाहू एप्ट याश्चायोग वालुहधनुर प्रियमनउबधणहार मिनीचतमननद आदरवायोग्य मागमनधीयंगुरामहित वीम्यासनुस्थानक समतकार्यकरवा मा मान्युवमापयाडमान्यु कायविधातनद पदपणिमान्य ते पनुसतरलनार डागसमान नोवत नीरि हिमानुपानद नतुझपनावणधार तुबरवृतनाफूलनीपरिदोहिल माभलव तु अगतिकीम लामवणे वलीतहमुदपीवातकस्युसर तैनउ तह भाजउ मुझन भाजीनद हिनुम्फुकाहितर कहछर एम निश्च पावा ताहरउ घाज तुहाज सेववियाइ नभरी अधमा तर "निहालगि मृघउ कर भर अाजाविका प्रवत्तीवतट तरकारबाडू घाउ पापकम' मद्लु उपाजा कोद्रकनकि नारकीपण्ड अपनउ तेगडकारणमानिपध हेपुवा तुहापपिहू इसि अधमा ६२
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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