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रायपसगी। विहरति तएगा सावत्धीए गरीए सिघाडगतिय चटक्क चच्चरचट मुह महापहेमु महया नणसहेडवा जणकलकलेइवा नावपरिसा पभवासति ततेपा तस्स चित्तसारहिम्स महाजणसद्द च जणकल कलचसुणेत्ता एसेत्ता इमेयामवे अमथिए जाव समुप्पभित्थाकिण अझसावत्धीए गायरी इन्दमहेवा खदमहेइवा एवमद्दमहेइवा म टमद्देइवा वेसमणमहेइवा गागमाइतिवा भुवस्समहेइवा जखमड़े
इवा धूभमहेवा चितिवमहेडवा रक्खमहेवा गिरिमहेवा दरिमहे इत्यादिक वाच्य (महया जयमद्देदवा) इति महान् जनशब्दपरस्परालापादिरूप इकारी वाक्यालडकारार्थ, वा शब्द पदानरापेक्षया समुच्चयार्थ। जनव्यूही जनसमुदाय' । “नणवी लेवा" इति वोलो अव्यकवर्णोध्वनि (जणकलकलेवा) कलकलसएवीपलभ्यमान विभाr, “जणउम्मीडवा” उनि सम्बन्धि' "जग्णठक्कलियाद्वा" लघुतरसमुदाय , “जणसएिणवाण्या ” मन्निपातोपाध्याने योजनानामेकतमीलन “जावपरिसापावासद, इति यावत करणात "बहुजगो अपणमयणपदमाइक्खदू एव भासद् एव परावेद एव खलु देवाणुप्पिया पास वचिकेसीयाम कुमारसमणेजाइ सम्पर्य जावगामाणुगाम टूइज्झमाणे ह्ह मागए छह सम्पत्त दूह समोमढेमे इवसावत्थीए पावरी एकोहए चेदए यहारूद उगिरिहत्ता सञ्जमेगा तवमा अप्पाण' भावे माणे विहर त महप्पल खलु देवतहारूवाण समणाण समगीयस विम वणयाए” इत्यादि प्रागुक्त समस्तपरिगृह'। इन्दमहेवा) इत्यादि इन्द्रमहोत्सव' । इन्द्र शक्र । स्कन्द कात्ति केय' रुद्रप्रतीत'। मकुन्दी बलदेव' गिवी देवताविशेप', वैसवयी यक्षराधनागी भवनपति विशेष'। यक्षीभूतश्च व्यन्तरविशेष स्तूपश्च त्यस्तूप चैत्य प्रतिमा वृक्षदरिगिरी एकरी तपकरी पोतानामात्मापतिमावताथका वासताथका विकरडू तेव सावत्यीनगरीन नद पथसिघोडायाकारतिकपथउवट' चउवटउ घणामाग तुमेलापक जहधीचारपधचालतचु मुष समाग पडीतविषद मोटर लीकनुसब्द उपनुमाहीमाहीमाहिनीलावतुथया लीकन प्रगट मन्दऊपनु यावत्सब्द लोकमाहोमाहिकहकद यहादेवानुप्रियादमीनामकुमारथमणदहाआत्या कहते हनुनामगीवमाभलमहाफलतववादवगायनुसाभलवुतहनुपछदमकरीस्नानादि करीमनुष्य परिपदासवाकरतिहारपछीड तेइनः चिव सारथिन तहमाटउलोकनउसब्द लोकनुकल प्रगट सम्मति माभलीनं देखीन एहवउ अात्मानविषै सकल्प उपनुप्या नथी आज सावधान नगरी इट्रमहोत्सव अथवा कात्तिकस्वामिनु महोत्सवाइमनमहोत्सवपदसघलेले दुस्वरमहोत्सव मकुद कृप्या वैथमयधनद भवनपती भूतव्यतर व्यतरजाति थूभातचैत्यस्तूप चैत्यप्रतिमा वृक्ष गिरि पर्वत