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रावपर्मगी। दगधागए अभूस्वेद सरसेगा गोसीस चदणेगा. पचागुनितल मड लग आनिइति कयग्गहगहिय जाव धूव टलवति जेणेव दाहिणि ल्नस्स मुहमडवस्स पवस्थिमिल्ने दार तेणेव उवागच्छड लोम इत्थग परामुसद २ दारेचेडीउ सालिभजियातोपवान मवतेय लोम हत्यतेगा पमउमाति २ दिव्वाए उदगधाराए अभूखेति सरसेगा गोसीसचदणेगा चच्चात्तेण टनयति पुप्फामहगा जाव आभरणाम इण करमाणे २ अासत्तोसत्तकवहेग्गदिय. धृव दनयति २ जेणेव दाहिणलस्स मुहमडवस्स उत्तरिल्ला खभपती तेणेव उवागच्छति
लोमहत्थग परामुसह खमे मालिजियाउव वानण्वय लोमत्यण्णा पुनरावृत्ति यस्मात्तद पुनरावृत्ति मिहानि निष्टिताथा भवन्त्वस्वामिति मिडिलीकान्तक्षेवलवणासेव गम्यमानत्वात गति', मिडिगतिरवनामधेश यस्य तत् सिद्धिगतिनामधेय तिष्ठन्त्यम्मिन इति म्यान व्यवहारत मिहिनेत निश्चयती वधावस्थित म्व स्वरूप स्थानस्थानिनौरभेटीपचारात् तत् मिद्विगतिनामधेय तत् मम्प्राप्तभ्यः। एवं प्रणिपातदयडक पठित्वा तती वन्द गाममद" इति बन्दत ता प्रतिमाश्चेत्ववन्नाविधिना प्रमिन नमस्करीति पश्चात्प्रणिधानादिवोगेनत्व के शरीर भिदधतिविरतिमतामेव प्रमित्यवन्दनविधिरन्येषा तयाभ्युपगमपुरम्मग्कायव्युत्सगामि रिति वन्दते मामान्येन नमकरोति आगयवृत्युम्याननमस्कारगति तत्वमन भगवन्त', परमपय कव. लिना विदन्ति। अत का मूत्र सुगम केवल भूपान् विधिविषयीवाचनाभेद इति यथावस्थित वाचना प्रदर्शनाथ विधिमानमुपदश्यत तदनन्तर लोमहस्तकन देवकन्दक मसाजयते पानीरधारया अभ्युचति यभिमुन सिञ्चतीत्यर्थ । तदनन्तर चन्दनन पञ्चालितल ददाति तत पुप्यारोहणारिधूपदहन च करीति तदनन्तर सिजायतनमहुमध्यदंगमागे उदकधाराभ्युत्नया चन्दन पञ्चालितलप्रदान पुप्पपुजीपचार धृपदामानि करीति तत सिहायतनदक्षिणहार समागत्य लीमइस्तक गृहीत्वा नन द्वारमाने शालभन्जिका व्यानरपानि च प्रमार्जवति तत उदकधार याभ्युषण गीगीपचन्दनचा पुप्याचारोहण धूपदान करोति, तती दक्षिणदारण निर्गीय गाक्ष पालपदू फुलपगर भर धूप दंर जिहा दक्षिणनउ सुखमंडपना पश्चिम हार तिहा जाद पुजगी लडू बारसाखा पूतली मपादिक म्प पुजगीह करी पुनदुर प्रधान पायीनाधागण अभीखइ नीलद गोभीर्य वदन छाटा दंड फुल चडाघद मालाचडावर याभर पाच डाउ एकर * माला बाधड फूलपगर भर धूप देड जिहा दक्षिणना सुखमडपनी उत्तरती थाभानीपति तिहा जाइ पु नगालैंड पूवमुनियामा धाभादीह पूतली सपरूप पुजपीडकरी पुजद तिमन
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