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रायपथी ।
विभाग पचवगण मुरभिमुक्क पुप्फयुजोवयारकलिय करेति य गया देवा सूरिया विमाण कालागुरुपवर कुदरुक्क तुमक्क धूव ममत गधडूयाभिराम करेति अप्पेगइया देवा सूरियाम विमागा सुगधवरगधिय मधवट्टिभूय करेति अप्पेगड्या देवा हिरण्णवास वासति 'सुवणवास वामति रयणवास वासति पुष्पवास वासति फल वासति मल्लवास श्राभरणवास चुगणवास श्रप्पेगइया देवा हिरण विभिापति एव सुवगण विहिभापति रययाविहि पुप्फविहि फल विsि मल्लविहि गधविद्धि चुगणविधि अप्पेगइया देवा आभरणविहि भारत यादेवा चउव्विद वाइत वायति तजहा तत वितत तण सिर पेगड्या देवा चउविह गेय गायति तजदा उक्खि त्ताय पायत्ताय मदारीद्रया वसाण अप्पेगइया देवा दुय गाट्टविहि
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शुचीनि परिवाणि समृष्टानि कचवरापनयनेन रथ्यान्तराणि आपणवीथयोरथ्याविशेषा यस्मिन् dear कुवन्ति, (पेगा देवाहिरण्यविहभाइन्ति ) श्रप्येकका केचनदेवा हिरण्यविधि हिरण्य रूप मंगलभूत प्रकार भाजयन्ति विश्रावयन्ति शेपदेवेभ्योददतीति भाव । एवं सुवण रत्नपुष्पफतमाल्यगन्धचूणाभरणविधिभाजनमपि भावनीयम्, “उप्पयणिचयेत्यादि, उत्पातपूवानियाती
सुगम किल फुलनु पु जवेडीज उपचारपूजाकरीते षडयुक्त हवर करद्र कोडक देवासूयाभविमान प्रति कृष्णागुरु प्रधान कु दरु गुरुज मिल्हारसनड धूपतेाइकरो मघमघीयमानग धनउत्कष्ट घरावर्तयहूकरीमनोहर एडवूकर कोइक देवता मूयाभ विमानप्रति सुग ध प्रधान गधयुक्त गधनी वातीरुप करडू कोइक देवना श्रघडाउमोनू वरिसद् सुवर्ण वृष्टि वरिसद् रत्नवृष्टि वरिस फूल वृष्टि वरमइ फलवृष्टिबरिसद्र एमनफूलमाला श्राभरणवरिसर गधकर्पूरादिचूर्य अविरादिक देवता घटित मोनानी विधिहनाप्रकारते प्रतिमाही माविदिचीदेएमन मुवर्ण माहोमादि विद्यादेव रत्ननिधि फूननीविधि फलविधि मालविधि ग धविधि चूर्णविधिहवीन्द्र कोडक देवा श्राभरणविधि अनैकमत्रारद्व आभरणविष्टचदेव कोइकदेवताविमकाररट्र वाजितवजाइतेक हेरै मृदगपट्टहादि वोपादिकमकादि सकाहल्यादि कोइक देवता विमकार गीतगाइ तेकहकर प्रयमगीत प्रारम्यग्रडविचरडबाधक मध्यभागसूनादिगुणिकरीघोलनीकमथ्यू पूरङगुकुरीहड चीरिवायाग्य कोद्रक देवता उतावलउ' नाटकविधि देवाडर कोइकदेवताविलवसहित नाटकविधि ture कोद्रक देवता जतापलट नाटकविधि देपाडर, देपाडीनद्र कोडक देवता श्रचित नाटक J ४६