________________
१६६
रायपसेणी 1
माणाउ २ चिट्ठति तासिया जिणपडिमा उभउपासे पत्तेय २ चामर धारपडिमाउ पगणत्ता ताउगा चामरवार पडिमाउ चदप्पस' ast वेलिय णाणामणिरवणखचिय चित्तदडाउ सुहूमरवयदी हवालाउ सखक कुददगरव अमयमहिवफेणपुन सगिणगासाउ धवलाउ चामराउ गहाय सलील वायमाणीउ चिट्ठति तामिय जिणपडिमा पुरतो दो गपडिमा जक्खपडिमाउ कूंडधार जिनपडिमा सव्रणाम यत्वा तदेव जाव चिट्ठति तासिगा जिणपडिमा पुरउ अमय घटाण अट्ठसय कलसाया यट्ठसय भिगा राण एव द्यायसाण्णवालाण पण सपतिद्वारा मगोगुनियाण वायकर
तथा साजिनप्रत्येकमुभयो' पार्श्वयों दें ई चामरधरे प्रतिमे प्रज्ञप्ते " च' (चन्दप्पभवदूरवे दलिय यायामणिरयय खचिय चित्तदण्डाउ ) इति चन्द्रप्रभश्चन्द्रकान्तो वज्र पर्य चमतीत चन्द्रमभवन् वैडूयाणि शेषाणि च नानामणिरत्नानि खचितानि येषु दण्डेषु ते तथा ए 'रूपा श्चिवनानाकारा दडा येषा तानि तथा सूर्व स्वीत्व प्राकृतत्वात् (सुडुमरययदीडवलाउ) द्वा सूक्ष्मा रजतमया दीर्घा वाला येषा तानि तथा, (सखक कुन्ददगरय श्रमयमहियकेयपुञ्ज परिगासाठ धवलाउ) इति प्रतीत चामराणि गृहीत्वा सलील वीजयन्त्य स्तिष्ठन्ति ताश्च (सव्वारयणमदूर अत्याउ) इत्यादि प्राग्वत् (तासिख) मित्यादि तासा जिनमतिमाना पुरतो ह े नागमतिमे ह े ह यक्षप्रतिमे दे दो भूतप्रतिमे हद्द कुण्डधारप्रतिमे सन्निचिप्ते तिष्ठत, तस्मिश्च देवच्छ द तासा जिनप्रतिमाना पुरती अष्टशत घण्टानामष्टशव चन्दनकलशानामष्टशत भृष्णारायामष्ट शत मादशानामष्टशत स्थाननामप्टशन पवीणामष्टगत सुमतिनामष्टशत मनीगुलिकाना
·
जिमहूउतिमधरतीथकी रहदूदू तेहनदू जिनप्रतिमानदू बिहू पासद प्रत्येक चामर धारक प्रतिमा कही तेह चामर धारक प्रतिमालेईऊभीछि तेहचामरकेहवानुप्रभवज्र वेडूय अनेकप्रकारइमणिरत्नद् स्वचितच चिविन्नछइजेहन सूक्ष्मरुपायलाबाकेसरिधि जेहना सखचक रत्नक्षल अमृतमध्यानुफीयर्तहनु तेनुपुज रासिहसरीया धडलाकर एहवाचामर गुहीनद ferefer वाजतीथका रहइछद्र तेहनs जिनप्रतिमान आगल छ यक्षप्रतिएमन कु डधारदेव वसेपनीप्रतिमा सवरत्नमयीछद्र निम तेहनइ प्रतिमानइ आगलि एकसउचाई घटा एकसुचाठ कलस एकसु बासनकहिबा ओरीसा एकसुआठथाल पावी१०८ प्रतिठीया१०८
T
18