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________________ Caterpikcaranaa रायपसणी । मोहति पुरा पोराणाय सुचिणाण सुपरिकताण सुभाग कडाण कम्माण कल्लाणाण कल्याण फलविवागाण पच्चणुभवमाया विहरति तेसिr araडाण बहूमज्मदेसभाए पत्तेय २ पासाय वडिगा पणत्ता तेण पासाय वडिसगा पचजोयण सयार उठ उच्चत्ते अट्ठाइज्माण जोयगण सयाइ विक्खभेण अन्भुग्गव मूसिय पहसियाविव तवे बहूसमरमणिच्झ भूमिभागाउ उल्लोड सीहा पीवर जासनजी बालीजवेरी जान जानाि Parents: hatarकुर्वन्ति (पुरा पोरायाय) मित्यादि पुरा पूर्व कर्मणामिति योग, अतएव पोरायानां सुचरिताना इह सुचरित चारात् सुपराकान्ति जनितानि ततीय भावार्थ । विशिष्ट तथा 'करणचान्त्यादि सुचरितजनितानामिति तथा सुपराक्रान्ताना पराक्रान्तजनितानि सुपराक्रान्तानि इत्युक्त भवति सकल सत्वमेवी गदिरूपसुपराक्रमजनितानामिति श्रतएव शुभाना शुभफलाना इह दशुभफलम् इन्द्रियमिति विपयासात् शुभफल प्रतिभासते ततस्ताध्याय शब्दमाह कल्याणाना तत्ववृत्त्या तथाविध विशिष्टफलदायिना कारिणा कल्याण कल्याणरूप फलविपाक (पञ्चणुभवमागया) प्रत्येक(ग) मित्यादि । तेया वनखण्डाना बहु मध्यदेशभागे प्रत्येक प्रत्येक द्रव शेषरकवावतसक प्रासादावतसक प्रासादविशेष इति भाव शतान् मुच्चैस्तेन श्रई तृतीयानि योजनशतानि विष्कम्भत । (अग्य माप दासयाविव ) इत्यादि विशेषणनात प्राग्वत् । भूमिवणन उल्लोकवर्णन 14/2/ बेहागुरुज्जाजन १३८* आसय तेवद् आकारद्र अरावली या अकठिनसुकमालकीधाउत स संस्थान सस्थिरधा प्रवीशिलापट्टकच्या अही श्रमणो तहमथवीसिलापट्टकेदड कमायूचर्मस ईवनस्पती मापण क तुलसरीपुकद्रफरिसज्ञेहनउसमस्वरत्नमयकद्र निर्मलकेतेजपु जजेहमाहि अनेरारुपमतिबिचक्कू तिहां धया वैमानिक देव देवी सुखवीसामलकर सुबिलाबी कायामसारैविपरनिद्वाक दिने ऊभारहैछद्र बइसइळे लोट के हसइके रमे मननीद्रकापूरवूडकइ क्रीडाकरैकेन दिविनोद कर द्र मैथुनवाकर पूर्वसवनाको धाक कर्म नाफलभागवदिते के दवाएँ सूची रुडा पाचुरात पसयमादि भलइपराक्रम ऊपनाएतल इसकल प्राण में बीसत्यभाषणपरिव्यापहारसुसीलादिकरूप पराक्रमते हवी कपनी सुभकर्म सुभफलदायकरहवाकीया कर्मक्रिया अनुचन कर्मकहवादि
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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